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गांव में नहीं गोठान, ग्रामीणों ने पंचायत भवन को ही बना दिया कांजी हाउस

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जांजगीर/नवप्रदेश। ग्राम हाथीटिकरा (hathitikra village) में गोठान (gothan) व कांजी हाउस (kanji house) न होने से (unavailability) ग्रामीणों (villagers) ने आवारा मवेशियों (stray cattle) के लिए पंचायत भवन (panchayat bhavan) को ही कांजी हाउस (kanji house) बना दिया। जिला मुख्यालय से 6 किमी दूर स्थित व नवागढ़ ब्लॉक के ग्राम हाथीटिकरा में आवारा मवेशियों (stray cattle) से किसान परेशान हंै।

ग्रामीणों (villagers) का कहना है कि गांव में मवेशी आवारा घूम रहे हैं और फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों ने पंचायत भवन (panchayat bhavan) में ही मवेशियों को रखकर इसे अस्थायी कांजी हाउस (kanji house) बना दिया है। ग्रामीणों ने आवारा मवेशियों (stray cattle) की समस्या को सुलझाने के लिए सरपंच व सचिव से कई बार कहा, लेकिन उनका कहना है कि किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने गांव में गोठान स्वीकृत करने की मांग भी शासन, प्रशासन से की है।

सरपंच ने मवेशियों को कराया मुक्त

ग्राम बनारी के आलोक पाण्डेय को जब इस मामले की जानकारी प्राप्त हुई तो उन्होंने सचिव रमेश सोनी को कॉल किया, लेकिन सचिव ने कॉल रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा। जिसके बाद पाण्डेय ने सरपंच को कॉल किया तो उन्होंने तुरंत पंचायत भवन पहुंच कर मवेशियों (cattle) को मुक्त कराया। सरपंच ने बताया कि ग्राम में गोठान बनाने की मांग जनपद सीईओ से की गई है। गांव में गोठान स्वीकृत हो जाने से आवारा मवेशियों को रखने के लिए जगह मिल जाएगी। सरपंच ने ग्रामीणों को समझाया कि गांव में गोठान की स्वीकृति जल्द मिल जाएगी।

आमने-सामने

ग्रामीणों (villagers) द्वारा पंचायत भवन में आवारा मवेशियों को रखे होने की जानकारी मिली तो वहां जाकर मवेशियों को मुक्त कराया गया। गांव में गोठान स्वीकृति न होने से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। गोठान बनाने की मांग सीईओ से की गई है। सीईओ ने आश्वस्त किया है कि जल्द ही गांव में गोठान स्वीकृत हो जाएगा।
-सनत कुमार साहू, सरपंच, ग्राम पंचायत हाथीटिकरा

सरपंच, सचिव चाहे तो फसलों को नुकसान पहुंचा रहे मवेशियों (cattle) को रखने की व्यवस्था कर सकते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि ग्राम विकास की ओर किसी का भी ध्यान नहीं है। हाथीटिकरा का पंचायत भवन (panchayat bhavan) भी रोज नहीं खुलता। यदि भवन रोज खुलता तो कोई भी वहां मेवशियों को नहीं रख पाता।
-ग्रामीण, हाथीटिकरा गांव

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