वाराणसी। Gyanvapi Case: उत्तर प्रदेश के वाराणसी का मामला फिलहाल कोर्ट में है। इस मामले में वाराणसी की निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक विभिन्न मामलों की सुनवाई हो रही है। सुनवाई के दौरान वाराणसी जिला न्यायालय ने शुक्रवार को वजूखाना स्थल को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का एएसआई निरीक्षण करने का आदेश दिया।
बताया जा रहा है कि एएसआई की जांच के बाद ज्ञानवापी की सच्चाई सामने आ जाएगी। हालाँकि, इस सर्वेक्षण से पहले भी कई साक्ष्य सामने आ चुके हैं जो इस स्थान के मंदिर होने की ओर इशारा करते हैं। इसलिए इन सबूतों के आधार पर हिंदू पक्ष ने कोर्ट में दावा किया है कि यह एक मंदिर है।
पत्थरों के नीचे स्वयंभू शिवलिंग
इस मामले में हरिहर पांडे ने 1991 में यह कानूनी लड़ाई शुरू की थी। उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी में पत्थरों के ढेर के नीचे आज भी स्वयंभू शिवलिंग है और एएसआई के सर्वे में इसका खुलासा होगा।
पीछे एक मंदिर के खंडहर
ज्ञानवापी की पिछली दीवारों से साफ पता चलता है कि ज्ञानवापी कोई मस्जिद नहीं बल्कि आदि विश्वेश्वर का मंदिर है। इसे औरंगजेब ने मस्जिद बनाने के लिए तोड़ दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अवशेष आज भी देखे जा सकते है।
स्वस्तिक और त्रिशूल –
इसके अलावा मई 2022 में कोर्ट कमीशन की कार्यवाही के दौरान मस्जिद की भीतरी दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के कई प्रतीक पाए गए थे। इन प्रतीकों में त्रिशूल चिन्ह के साथ-साथ स्वास्तिक चिन्ह भी शामिल थे। आयोग की कार्रवाई के बाद उनकी तस्वीरें भी वायरल हो गईं थी।
एक छोटा सा शिवलिंग भी मिला –
ज्ञानवापी परिसर की दीवार पर एक छोटा शिव लिंग भी देखा गया। इसके अलावा, इस मस्जिद क्षेत्र में अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं, जो यहाँ एक मंदिर होने की ओर इशारा करती हैं।
नंदी के सामने शिवलिंग –
उन्होंने आगे कहा कि आज भी ज्ञानवापी कूप के सामने एक विशाल नंदी विराजमान हैं। इसी नंदी के सामने वजूखाना में आयोग की कार्रवाई के दौरान कथित शिव लिंग मिला था। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इसे स्प्रिंग होने का दावा किया। उन्होंने कहा, लेकिन कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उस जगह को अस्थायी तौर पर सील कर सुरक्षित रख लिया है।