-गुड़ी पड़वा को चैत्र नवरात्रि के साथ-साथ राम की नवरात्रि भी कहा जाता है
Gudi Padwa 2024: इस साल गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल 2024 को है और उसी दिन से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही है, जिसे राम नवरात्रि भी कहा जाता है। क्योंकि इस अवधि के दौरान भगवान श्री राम चंद्र ने दुष्ट रावण का वध किया था और सीता माई और लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास समाप्त करके अयोध्या पहुंचे थे।
इस दिन को उत्सव (Gudi Padwa 2024) की तरह मनाया गया। अयोध्यावासियों ने दरोदरी गुढ़ा बनाकर, तोरण बनाकर, रंगोली बनाकर और सजाकर श्री राम का स्वागत किया था। गुढ़ी को भगवान राम की जीत के प्रतीक के रूप में ऊंचाई पर बनाया गया था। तभी से इस काल को श्रीराम नवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।
रामरक्षा कब और कितनी बार कहें?
इसका पाठ दिन में एक बार निश्चित स्थान पर, निश्चित समय पर करने से रामरक्षा सिद्ध होती है। अथवा गुढीपाडवा से रामनवमी तक प्रतिदिन 13 बार रामरक्षा जप करने से यह सिद्ध हो जाता है।
रामरक्षा के अन्य लाभ:
- 1) अशुभ शक्ति से बचाता है।
- 2) राहु-केतु की महादशा परेशानियों से मुक्ति दिलाती है।
- 3) यह कर्ज मुक्ति और कर्ज वसूली के लिए फायदेमंद है। इसके लिए ‘आपदमपहरतरम…’ श्लोक का 1 लाख बार उच्चारण करने से ऋण मुक्ति का फल मिलता है।
- 4) रामरक्षा में प्रत्येक अंग का अपना अलग छंद होता है, उस छंद का निरंतर पाठ करने से उसका अलग फल मिलता है।
- जैसे: कौसल्यै दृष्टो पातु:….इस श्लोक का लगातार पाठ करने से नेत्र विकार ठीक हो जाते हैं।
रामरक्षा के नियम:
- जब भी संभव हो वर्ष की किसी भी पूर्णिमा से रामरक्षा का पाठ प्रारंभ करना लाभकारी होता है।
- राम रक्षा का पाठ दिन में एक बार किसी निश्चित स्थान पर, निश्चित समय पर करना चाहिए। समय और स्थान न बदलें।
- इसके अलावा बीमारी के दौरान शुभ श्लोकों का पाठ करने से भी बीमारी से छुटकारा मिलता है।
- इस श्लोक का 15000 जप करें।
- जप के साथ-साथ रोगी व्यक्ति के नाम से अभिमंत्रित श्री रामरक्षा सिद्ध यंत्र सदैव अपने पास रखना चाहिए। इसका अर्थ है बीमारी से शीघ्र छुटकारा पाना।
- हाथ-पैर धोकर स्वच्छ हो जाने के बाद राम रक्षा कहने में कोई हर्ज नहीं है।
- कुमार आयु के बच्चों को नियमित रूप से राम रक्षा कहना चाहिए। इसलिए वाणी पर भी उचित संस्कार पड़ते हैं और रामरक्षा का नियमित जाप करने से शक्ति उत्पन्न होती है और वह सदैव हमारी रक्षा करती है। छोटे-बूढ़े भी नित्य रामरक्षा कहें। इससे निश्चित लाभ होता है।
रामरक्षा का पालन करने की विधि
यह अनुष्ठान किसी भी माह की शुद्ध प्रतिपदा से प्रारंभ करके शुद्ध नवमी तक किया जाता है। प्रतिपदा को एक बार और दूसरे श्लोक को दो बार, नौवें दिन आरोही क्रम में नौ बार पढऩा चाहिए। अनुष्ठान का अर्थ है उसके नियमों का पालन करना। इसका अनुभव नहीं किया जा सकता।
श्री रामरक्षा स्तोत्र का क्या महत्व है?
श्री रामरक्षा शब्द का अर्थ है रक्षक राम। प्रभु रामचन्द्र को ‘मर्यादा पुरूषोत्तम’ कहा जाता है। यदि हम भगवान रामचन्द्र की जीवनी पर नजर डालें तो हमें पता चलेगा कि भगवान रामचन्द्र ने राजा, पिता, भाई, पति सभी रिश्तों में मर्यादाओं का पालन कर एक महान उदाहरण प्रस्तुत किया है। बुधकौशिक ऋषि के स्वप्न में स्वयं भगवान रामचन्द्र ने रामरक्षा स्तोत्र का पाठ किया था। अत: राम रक्षा स्तोत्र का प्रत्येक अक्षर मंत्रयुक्त एवं तारायुक्त है।