टाटा स्टील ने निर्माण क्षेत्र में एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि हासिल करते हुए ऐसी स्टील इमारत तैयार की है, जो अपनी जरूरत की पूरी बिजली खुद उत्पन्न करेगी (टाटा स्टील Green Construction Innovation)।
‘जीरो एनर्जी बिल्डिंग’ (ZEB) नामक इस अभिनव भवन का उद्घाटन शुक्रवार को टाटा स्टील के सीईओ टीवी नरेंद्रन तथा वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के डीजी डॉ. एडविन बसन ने किया। यह परियोजना वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के ‘कंस्ट्रक्ट स्टील’ कार्यक्रम के तहत विकसित की गई है।
क्या है एलजीएसएफ तकनीक
भवन को लाइट-गेज स्टील फ्रेम (एलजीएसएफ) तकनीक से तैयार किया गया है (एलजीएसएफ तकनीक Green Construction Innovation)। यह ऐसी आधुनिक निर्माण प्रणाली है जिसमें ईंट–गारे की जगह फैक्ट्री-निर्मित स्टील फ्रेम साइट पर नट-बोल्ट से जोड़कर संरचना तैयार की जाती है। ब्लॉक पजल की तरह यह तकनीक तेज, सटीक और उच्च गुणवत्ता वाला निर्माण सुनिश्चित करती है।
इसी वजह से 1,836 वर्गफुट का यह पूरा भवन मात्र 3.5 महीने में बनकर तैयार हो गया। स्टील संरचना होने के कारण यह हल्का, भूकंपरोधी और बेहद टिकाऊ भी है।
बिजली का बिल ‘जीरो’ कैसे
इस भवन की पूरी डिजाइन ऊर्जा संरक्षण सिद्धांतों पर आधारित है (ऊर्जा संरक्षण Green Construction Innovation)।
दीवारों व छत में उच्च गुणवत्ता वाला इंसुलेशन लगाया गया है, जिससे एसी–हीटर की आवश्यकता कम हो जाती है।
छत पर सोलर पैनल और दीवारों पर बीआइपीवी (Building Integrated Photovoltaics) लगाए गए हैं।
यह सिस्टम सालभर में उतनी ही सौर ऊर्जा पैदा करेगा जितनी इमारत को आवश्यकता होती है।
इस तरह यह भवन नेट-जीरो एनर्जी बिल्डिंग के रूप में कार्य करेगा।
पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण पहल
सीईओ टीवी नरेंद्रन ने इसे निर्माण क्षेत्र का भविष्य बताते हुए कहा कि कम-कार्बन इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में यह मॉडल मील का पत्थर साबित होगा। पारंपरिक निर्माण कार्य वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में लगभग 37–40% तक योगदान करते हैं।
एलजीएसएफ तकनीक-
बेहद कम पानी का उपयोग करती है,
100% पुनर्चक्रण योग्य स्टील का इस्तेमाल करती है,
वर्षा जल संचयन और जल-बचत तकनीक अपनाती है।
इन खूबियों के आधार पर यह इमारत पूरी तरह ग्रीन बिल्डिंग की श्रेणी में आती है।

