Greed turns voters into vote sellers: मुफ्त में राशन पानी और बिजली की लालच ने अब मतदाता को मत विक्रेता बना दिया है। अब तो खटाखट नोट देने की घोषणा कर फटाफट वोट कबाडऩे की कवायद होने लगी है। मत विक्रेता भी सयाना बन गया है। इस हाथ वोट देकर उस हाथ से नोट लेने जा धमकता है।
गनीमत है कि अभी तक उसने हम लेकर रहेंगे आजादी की तर्ज पर हम लेकर रहेंगे नोट के नारे शुरू नहीं किए हैं। देर सवेर वे इस खैरात को अपना हक समझ कर धरना प्रदर्शन से लेकर आमरण अनशन शुरू कर दें तों कोई आश्चर्य नही होगा।