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Grandparents of IAS : बड़ी खबर…! IAS अफसर के दादा-दादी ने की आत्महत्या…पढ़ें रोंगटे खड़े करने वाले सुसाइड नोट

Grandparents of IAS : Big news…! IAS officer's grandparents committed suicide… Read the shocking suicide note

Grandparents of IAS

हरियाणा/नवप्रदेश। Grandparents of IAS : चरखी दादरी निवासी आईएएस विवेक आर्य के दादा-दादी ने बुधवार रात घर पर जहरीला पदार्थ निगलकर आत्महत्या कर ली। बुजुर्ग दंपती ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा जो दम तोड़ने से पहले उन्होंने पुलिस को सौंपा। इस पर संज्ञान लेकर पुलिस ने परिवार के चार लोगों पर मामला दर्ज कर लिया है। मृतक दंपती का पोस्टमार्टम सिविल अस्पताल में करवाया जाएगा।

परिवार के चार लोगों पर दर्ज किया मामला

जानकारी के अनुसार मूलरूप से गोपी निवासी जगदीशचंद्र (78) और भागली देवी (77) अपने बेटे विरेंद्र के पास बाढड़ा में रहते थे। विरेंद्र आर्य का बेटा विवेक आर्य 2021 में आईएएस बना था और उन्हें हरियाणा कैडर मिला है। इस समय वो अंडर ट्रेनी काम कर रहे हैं। बुधवार रात जगदीशचंद्र और उनकी पत्नी भागली देवी ने बाढड़ा स्थित अपने आवास पर जहरीला पदार्थ निगल लिया। देर रात करीब ढाई बजे जगदीशचंद्र ने जहर निगलने की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम में दी। इसके बाद ईआरवी 151 मौके पर पहुंची और बाढड़ा थाने से भी पुलिस टीम को मौके पर बुलाया गया।

पुलिस को जगदीशचंद्र ने सुसाइड नोट सौंपा। वहीं, हालत बिगड़ने पर बुजुर्ग दंपती को पहले बाढड़ा के निजी अस्पताल ले जाया गया और वहां हालत गंभीर होने के चलते उन्हें दादरी सिविल अस्पताल भेजा गया। दादरी अस्पताल में चिकित्सकों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। बाढड़ा थाना पुलिस ने देर रात ही उनके शव कब्जे में लेकर शवगृह में रखवा दिए। वीरवार सुबह पुलिस ने अस्पताल पहुंचकर पोस्टमार्टम के लिए आवश्यक कागजी कार्रवाई (Grandparents of IAS) पूरी की। बताया जा रहा है कि सुसाइड नोट के आधार पर बाढड़ा थाना पुलिस ने परिवार के ही चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

बुजुर्ग दंपती ने सुसाइड नोट में लिखी ये बातें

जगदीश ने सुसाइड नोट में लिखा, “मैं जगदीश चंद्र आर्य आपको अपना दुख सुनाता हूं। मेरे बेटे के पास बाढ़ड़ा में 30 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन उसके पास मुझे देने के लिए दो रोटी नहीं हैं। मैं अपने छोटे बेटे के पास रहता था। 6 साल पहले उसकी मौत हो गई। कुछ दिन उसकी पत्नी ने उसे रोटी दी, लेकिन बाद में उसने गलत काम करना शुरू कर दिया। मैंने विरोध किया तो पीटकर घर से निकाल दिया।”

“मैं दो साल तक अनाथ आश्रम में रहा, फिर वापस आया तो उन्होंने मकान को ताला लगा दिया। इस दौरान मेरी पत्नी लकवा का शिकार हो गई और हम दूसरे बेटे के पास रहने लगे। मगर, कुछ दिन बाद उन्होंने भी रखने से मना कर दिया और मुझे बासी खाना देना शुरू कर दिया है। ये मीठा जहर कितने दिन खाता, इसलिए मैंने सल्फास की गोली खा ली। मेरी मौत का कारण मेरी दो पुत्रवधू, एक बेटा और एक भतीजा है।”

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