-सरपंच सहित उप सरपंच के पद पर भी कब्जा करने की हो रही तैयारी…
बिलासपुर/नवप्रदेश। Gram Panchayat Elections 2025: ग्राम पंचायतों में पंच परमेश्वर बनने राजनीति गरमा गई है और पंचायत चुनाव में ही घर-घर का विरोध पता चलता है। पंच-सरपंच बनने बाप बेटे और सगे-रिश्तेदार भी आमने-सामने रहते हैं। सबसे अधिक चुनावी घमासान गनियारी, घुटकू जैसे जिले के बड़े पंचायतों में देखने को मिलता है इस तरह 486 सरपंचों सहित 7233 पंचों के पदो पर चुनाव होना है।
पंचायत चुनाव की तारीख तय नहीं
चूंकि अभी आचार संहिता लागू नहीं हुआ है और पंचायत चुनाव (Gram Panchayat Elections 2025) की तारीख तय नहीं हुआ है इसलिए प्रत्याशी खुलकर सामने नहीं आ रहे है जैसे ही चुनाव का तारीख तय होगा पंचायत चुनाव में घर-घर का विरोध का पता चलेगा। वर्ष 2014 में शहर से लगे घुटकू ग्राम पंचायत चुनाव में दो सगे रिश्तेदार सरपंच के पद पर आमने-सामने थे। वहीं पंच के पदों पर भी सगे-रिश्तेदार प्रत्याशियों के रूप में चुनाव लड़ते हैं। आचार संहिता लागू होने के बाद पंचायत चुनाव काफी रोचक हो जाएगा। फिलहाल जो प्रत्याशी चुनाव लडऩा चाहते है वे गांव के आम लोगों से भेंट मुलाकात बढ़ा दिए हैं।
प्रत्याशियों सहित जनता को तारीख का इंतजार
प्रत्याशियों सहित गांव के आम जनता को भी चुनाव की तारीख का इंतजार है। पंचायत प्रतिनिधि के रूप में महिला सरपंचों के पति एवं रिश्तेदार पंचायत में कार्यरत रहते है, जिसका विरोध भी होता है कुछ पंचायतों में मामला अविश्वास प्रस्ताव तक भी चला जाता है। पिछले कार्यकाल में जो पंचायत में पदाधिकारी थे वे इस बार भी अपना भाग्य अपनाना चाहते है और सरपंच और उपसरपंच दोनों पदो पर कब्जा जमाना चाहते है।
सरपंचों के सभी सीटों में चुनाव लड़ सकती है महिलाएं
पंचायतों में आरक्षण के बाद एक बार फिर महिला प्रत्याशियों का दबदबा रहेगा और जिले के 486 सरपंच के पद पर महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ सकती है। कुल सरपंच सीटों में अनुसूचित जाति महिला 58 और मुक्त 57, अनुसूचित जनजाति महिला 71 और मुक्त 71, अन्य पिछड़ा वर्ग 19 मुक्त 16, वहीं अनारक्षित महिला 97 और मुक्त 97 सीटें आरक्षित है इस तरह पंचायत (Gram Panchayat Elections 2025) चुनाव में भी महिलाओं का पलड़ा भारी रहेगा।
इसके साथ ही सभी जनपदों बिल्हा, तखतपुर , कोटा, मस्तूरी में 7233 वार्ड हैं जहां पंचों का चुनाव होना है। और पंच पद के लिए भी महिला प्रत्याशियों को आरक्षण के अनुसार जगह दिया गया है, हालांकि कुछ पंचायतों में महिलाओं के पति एवं अन्य रिश्तेदार प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं, लेकिन कुछ जगहों पर महिलाएं खुद पंचायत का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस तरह आरक्षण के माध्यम से महिलाओं को पचंायतों में पूर्ण भागीदारी दिया गया है।
सरपंच पति सहित नजदीकी रिश्तेदारों का दखल
आरक्षण में भले महिलाओं को वर्चस्व मिला हो लेकिन अधिकांश महिला पदाधिकारियों के पति या फिर रिश्तेदार ही पंचायत चलाते हैं, जबकि पंचायत राज अधिनियम में किसी भी पंचायत पदाधिकारियों को प्रतिनिधि रखने का अधिकार नहीं है। पंचायतों में रिश्तेदारों के दखल को लेकर समय-समय पर उच्चाधिकारियों से शिकायतों भी की जाती रही है। भले ही कार्रवाई नहीं के बराबर होता है, कुछ पंचायतों में तो महिला प्रतिनिधियों के द्वारा बढ़-चढ़कर गांव के विकास के साथ-साथ जनहित के कार्य भी अच्छे से किए जाते रहे है।