-महत्वाकांक्षा से डरकर भाजपा के सदस्यों ने ही भाजपा को वोट नही दिया
विशेष संवाददाता
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) की गोबर खरीदी योजना (gobar khareedee yojana) की राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) द्वारा की गई तारीफ (praise) का मसौदा अब धीरे-धीरे बाहर (Out slowly) आ रहा है।
संघ के स्वंय सेवक छत्तीसगढ़ के गावों में यह जानने निकल गए है कि आखिर भाजपा सरकार से कौन सी गलतियां हो गई थी कि इतनी बुरी हार हुई। मौजूदा कांग्रेस सरकार के दिसंबर में दो साल पूरे होने जा रहे है।
जिस तरह सरकार अपने दो साल की उपलब्धियों को गिनवाएगी उसी तरह संघ का केडर खामियों व खासियतों की रिपोर्ट तैयार कर रहा हैं। दरअसल संघ जनवरी 2018 से अक्टूबर 2018 तक भाजपा सरकार की उन निर्णयों की समीक्षा कर रहा है जिसके चलते भाजपा की बुरी तरह हार हुई।
गांव और शहर के हर तीसरे परिवार से यह पूछा जा रहा है कि आखिर ऐसी कौन सी गलतियां हुई कि भाजपा की न केवल सत्ता चली गई बल्कि बुरी तरह हार हुई। संघ के स्वंय सेवको को जनता की ओर से मिलने वाला फीडबेक बड़ा रोचक है। भाजपा द्वारा घोषित किसानों का दो साल का बोनस नही देना गहरी नाराजगी का कारण था।
वही मोबाईल को शहरी क्षेत्र में और किसानों का दो साल बचा धान का बोनस ग्रामीण क्षेत्र में बाट दिया जाता तो इतनी बुरी स्थिति नही होती। संघ के अतिविश्सनीय सूत्रो की यदि माने तो बेलगाम नौकरशाही तथा सत्ता और संगठन से जुड़े कुछ अतिमहत्वाकांक्षी पदाधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री पद के दावे को लेकर की गई बयानबाजी इतनी भारी पड़ी कि भाजपा के सदस्यों ने ही डरकर भाजपा को वोट नही दिया कि कही हमारे वोट से गैर छत्तीसगढ़ नेत्री सीएम न बन जाए।
राष्ट्रीय नेत्री द्वारा दिए जाने वाले बयानो से भाजपा के लोग डर गए थे कि एक बार भी कोई गैर छत्तीसगढ़ी मुख्यमंत्री बना तो राज्य की ढाई करोड़ आबादी माफ नही करेगी। वही दूसरी तरफ काग्रेस में मुख्यमंत्री पद के सभी दावेदार सभी स्थानीय थे जिसमें से तीन तो बहुसंख्यक पिछड़ा वर्ग से थे। यह आकलन संघ ने कुछ इस तरह निकाला कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के 62 लाख सदस्य है और 45 लाख वोट मिले हैं जबकि कांग्रेस को 65 लाख वोट मिले है।
सूत्र बताते है कि बेलगाम नौकरशाही यह साबित करना चाहती थी कि गुजरात माडल की तर्ज पर चौथी बार सत्ता हम लाकर देंगे इस चक्कर में केडर और कास्ट (जाति) को इतना नाराज कर दिया गया कि भाजपा के अपने सदस्यों ने पार्टी को वोट नहीं दिया।
वनवासी कल्याण आश्रम के साथ जुड़े स्वंय सेवको ने चौकाने वाली जानकारी संघ के दल को दी है जिसमें आदिवासियों की जमीन को लेकर विधानसभा में लाए गए प्रस्ताव का ही नतीजा था झारंखड से लगे जशपुर जिले में पत्थलगढ़ी जैसा आन्दोलन शुरू हुआ जिसे सरकार ने ठीक से हेंडल करने के बजाय कुचलने की कोशिश की । हालाकि इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया था लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।