GIS Technology for Water Conservation : छत्तीसगढ़ सरकार ने बढ़ते जल संकट से निपटने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश की 11,663 ग्राम पंचायतों में पानी का संरक्षण (GIS Technology for Water Conservation) जियोग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS) तकनीक की मदद से किया जाएगा। इसके जरिए पंचायत स्तर पर पौधारोपण, जल संचयन और संवर्धन के लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान की जाएगी। यह योजना राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी “मोर गांव, मोर पानी महाअभियान” का हिस्सा है।
कैसे काम करेगी GIS तकनीक?
पंचायत स्तर पर भूमि और जलस्रोतों का भू-प्राकृतिक विश्लेषण होगा।
यह पता लगाया जाएगा कि किस स्थान पर चेकडैम, तालाब, नाला बांध या अन्य संरचना सबसे प्रभावी होगी।
योजनाओं की पारदर्शी मॉनिटरिंग और क्रियान्वयन के लिए युक्तधारा पोर्टल का इस्तेमाल होगा।
पंचायतों की सरकारी भूमि और संसाधनों की जानकारी भी इसी पोर्टल से मिलेगी।
पायलट प्रोजेक्ट के नतीजे
प्रारंभिक तौर पर सभी जिलों के एक-एक विकासखंड में इस तकनीक का उपयोग किया गया। नतीजे उत्साहजनक रहे और अब इसे 1 अप्रैल 2026 से पूरे प्रदेश की पंचायतों में लागू करने की घोषणा की गई है।
भू-जल स्तर गिरने से बढ़ी चिंता
पिछले 20 वर्षों में सुरक्षित विकासखंडों की संख्या 138 से घटकर 120 हो गई है।
केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 146 विकासखंडों में से 5 गंभीर श्रेणी में आ चुके हैं।
इनमें गुरूर (बालोद), नवागढ़, बेमेतरा, बेरला (बेमेतरा), और धरसींवा (रायपुर) शामिल हैं।
21 और विकासखंड धीरे-धीरे गंभीर श्रेणी की ओर बढ़ रहे हैं।