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General Bipin Rawat : भारतीय सेना के महान योद्धा…

General Bipin Rawat: The great warrior of the Indian Army...

General Bipin Rawat

विकास कुमार। General Bipin Rawat : भारतीय भूमि में कई ऐसे अमर साधक वाले बड़े जिनके शौर्य, वीरता और साहस की अमिट छाप इतनी प्रभावकारी रही कि कहानियों से आने वाली पीढिय़ां सीख लेती रहती हैं। व्यावहारिक जगत में उनके चले जाने का गम सभी प्रकार के समुदायों को होता है। सभी सहज भाव से उनको याद करते हैं।

8 दिसंबर, 2021 को एमआई-17वी-5 हेलीकॉप्टर की दुर्घटना के पश्चात पूरा देश शोक में डूब गया था। इस विमान में भारत के प्रथम चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत एवं उनकी धर्मपत्नी मधुलिका रावत सहित अन्य अधिकारियों का निधन हो गया। इस घटना को लेकर कई प्रकार के सवाल खड़े हो रहे हैं जनरल साहब का हेलीकॉप्टर का सोना आकाश में घटना थी साजिश थी या अन्य कुछ, इस विषय में सरकार ने इस संबंध के जानकार तथा विशेषज्ञों की कमेटी गठित कर जांच करने के आदेश दिए हैं।

जनरल बिपिन रावत सेना प्रमुख के साथ एक अच्छे रणनीतिकार युद्ध विशेषज्ञ एवं सेना में कई क्षेत्रों के नवीनीकरण एवं नवाचार करने के अग्रणी थे। उन्होंने सेना में कई ऐसे सुधार की जिससे आने वाली सेना में पीढिय़ां भविष्य में लाभान्वित हो सकेंगे। उनका मानना था कि सेना नौकरी या व्यवसाय नहीं है इसमें भारती होना राष्ट्रप्रेम एवं राष्ट्र गौरव है। भारतीय सेना में लड़कियों का प्रवेश भारतीय सेना में लड़कियों का प्रवेश कराने में उनका प्रमुख और अहम योगदान था।

उनका (General Bipin Rawat) सपना था कि भारतीय सेना विश्व की श्रेष्ठ एवं सर्वोच्च सेना बने, इस कार्य हेतु उन्होंने भारत का प्रयास भी किया। देश भक्ति और राष्ट्र प्रेम उनके रग-रग में भरा था जिसके लिए वह सदैव तैयार रहते थे। किसी भी संकट का पूर्वानुमान एवं उसके खातिर सशक्त रणनीति का संचालन तथा उसको अपने अनुभवों से निपटाना इस प्रकार की उनमें अटूट प्रतिभा थी। साथ ही वह त्वरित निर्णय लेने में भी तत्परता दिखाते थे और अपनी सूझबूझ से उस घटनाक्रम को सुलझा लेने की पहल भी करते थे।

इनका जन्म इनका जन्म 16 मार्च , 1958 को गढ़वाल ( वर्तमान पौढी गढ़वाल उत्तराखंड) में हुआ था। वह बचपन से ही दूर दृष्टि रखने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे। यही कारण रहा कि विद्यार्थी जीवन में भी उनको कई पुरस्कारों से नवाजा गया। उनकी शुरुआती शिक्षा देहरादून के कैबरीन हाल स्कूल और शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल में हुई। सैन्य अकादमी देहरादून से स्नातक की प्रथम श्रेणी में डिग्री प्राप्त किया। उनके इस बेहतरीन प्रदर्शन के लिए सॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन विषय में एम0फिल0 एवं प्रबंधन तथा कंप्यूटर अध्ययन में डिप्लोमा प्राप्त किया। वर्ष 2011 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से सैन्य मीडिया अध्ययन के क्षेत्र में पीएचडी की मानद उपाधि से विभूषित किया गया। 16 सितंबर, 1978 में 5//11 गोरखा राइफल्स में भारतीय थल सेना की सेवा के लिए सम्मिलित हुए। सेना में सेवा देने की प्रथा उनके पूर्वजों से चली आ रही है। इनके पिताजी भारतीय थल सेना में लेफ्टिनेंट जनरल पद से सेवानिवृत्त हुए थे।

प्रारंभ में इनको नियुक्ति मिजोरम में मिली, तत्पश्चात कई असाधारण कार्य किए जिससे सभी का ध्यान इनकी ओर आकृष्ट हुआ। यही कारण रहा कि कांगो में संयुक्त राष्ट्र संघ की पीसकीपिंग का नेतृत्व इन्हीं को सौंपा गया, जिसका इन्होंने सफलतापूर्वक संचालन किया ,इस कार्य की बहुत प्रशंसा हुई थी। आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या है जिसका प्रभाव भारत में भी है जब इनकी पूर्वोत्तर कमान में ड्यूटी थी उस समय अलगाववादी नीतियां वहां चरम पर थी।

इन्होंने अपनी सूझबूझ से उन नीतियों का कार्यान्वयन किया जिससे अलगाव विरोधी गतिविधियां कम हुई। साथ ही उन्होंने आतंकवाद के विरुद्ध भी कई ऑपरेशन चलाएं जो बहुत सफल रहे। म्यांमार में 2015 में सीमा पार ऑपरेशन किया गया ,जिसमें भारतीय सेना ने आतंकवादियों का मुंहतोड़ जवाब दिया उसका संचालन भी जनरल बिपिन रावत जी ही कर रहे थे। इस ऑपरेशन में कई आतंकवादियों को मार गिराया गया था। पाकिस्तान में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के भी जनरल बिपिन रावत प्रमुख रणनीतिकार एवं सलाहकार थे।

इन्हीं साहसी एवं वीरता वाले कार्य हेतु उन्हें कई पुरस्कारों एवं सम्मानों- परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अतिविशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक आदि से नवाजा (सम्मानित) गया था। वह भारतीय सेना के साधारण अधिकारी के पद से भारतीय सेना के सर्वोच्च पद को सुशोभित करने वाले व्यक्ति थे।

इतना ही नहीं जब तीनों सेनाओं का प्रमुख बनाने का विधेयक लाया गया तब जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) साहब को चीफ ऑफ डिफेंस बनाया गया। उनके आकस्मिक चले जाने का गम भारत के प्रत्येक समुदाय के नागरिकों को है। ऐसे महान योद्धा इस दुनिया से तो चले जाते हैं परंतु उनका यह देश प्रेम और बलिदान देशवासी सदैव याद रखते हैं। और आने वाली पीढिय़ां उससे प्रेरणा प्राप्त करती हैं।

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