नई दिल्ली, 16 मई| Gene Editing Treatment For Infants : जब केजे मुलडून ने इस दुनिया में आंखें खोलीं, तो किसी को अंदाज़ा नहीं था कि वह मेडिकल साइंस की सबसे बड़ी क्रांति का केंद्रबिंदु बन जाएगा। महज़ कुछ मिनटों में डॉक्टरों को महसूस हो गया था कि केजे के शरीर में कुछ ठीक नहीं है। हाथों की हरकतें अजीब थीं, और टेस्ट में अमोनिया का स्तर रिकॉर्ड से बाहर जा रहा था।
लेकिन जो उम्मीदें लगभग खत्म हो रही थीं, उन्हें फिर से जिंदा किया “Gene Editing Treatment” ने – वो तकनीक जिसे पहली बार किसी मानव शिशु पर आज़माया गया।
क्या थी केजे की दुर्लभ बीमारी?
केजे की लिवर कोशिकाएं CPS1 नामक ज़रूरी एंजाइम नहीं बना पा रही थीं, जो प्रोटीन को तोड़ने और अमोनिया को शरीर से बाहर निकालने के लिए जरूरी होता (Gene Editing Treatment For Infants)है। इस कारण उसका शरीर जहरीले अमोनिया से भरता जा रहा था, जो मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता था।
CRISPR Gene Editing से कैसे बदली ज़िंदगी?
पेन यूनिवर्सिटी और फिलाडेल्फिया चिल्ड्रन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मिलकर CRISPR टेक्नोलॉजी के ज़रिए केजे की लिवर कोशिकाओं में मौजूद आनुवंशिक गड़बड़ी को ठीक किया। यह एक इन्फ्यूजन थैरेपी थी, जो पूरी तरह से अनटेस्टेड थी — लेकिन इस एक फैसला ने इतिहास रच दिया। 25 फरवरी 2025 का दिन केजे के परिवार और चिकित्सा जगत दोनों के लिए टर्निंग पॉइंट बन गया।
माता–पिता का साहस और विज्ञान का चमत्कार
जब डॉक्टर्स ने बताया कि कोई भी इलाज गारंटी नहीं दे सकता — और यह जीन थेरेपी पहली बार किसी पर इस्तेमाल (Gene Editing Treatment For Infants)होगी, तब भी केजे के माता-पिता निकोल और काइल ने डर को ताक पर रखकर यह जोखिम उठाया। उनके इस फैसले ने दुनिया भर के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को एक नया रास्ता दिखाया। आज केजे बिना किसी सहारे बैठ रहा है, मुस्कुरा रहा है और एवोकाडो खा रहा है। ये किसी चमत्कार से कम नहीं।
अब उम्मीद है…अनगिनत केजेज़ के लिए
डॉ रेबेका और डॉ मुसुनुरु जैसे वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सफलता दुर्लभ आनुवंशिक बीमारियों के लिए रोडमैप बन सकती है। यह इलाज अब one-size-fits-most model की तरह तैयार किया जा सकता(Gene Editing Treatment For Infants) है, जो आने वाले समय में हजारों नवजातों को जीवनदान दे सकता है।