गरियाबंद, जीवन एस साहू/ नवप्रदेश। भाजपा प्रयोग करती रही कांग्रेस की सरकार बनी तो केवल अश्वासन मिला ,मौत का आंकड़ा बढ़ता गया लेकिन साफ पानी नही (Gariyaband News) मिला। बच्चों के भविष्य खातिर अब गांव छोड़ना शुरू कर दिए लोग।अब तक 20 से भी ज्यादा परिवार के घरों में लटका ताला,आने वाले दिनों में घर छोड़ने वालो की संख्या बढ़ेगी।
सुपेबेडा में किडनी की बिमारी से बढ़ते मौत के आंकड़े अब वहा के लोगो को डराने लगा है।लगभग 200 परिवार मुख्य बस्ती में रहता है, जिसमे से अब तो 20 से ज्यादा परिवार ने गांव छोड़ दिया है।
वजह किडनी के रोग का नही थमना (Gariyaband News) है। ग्राम कोटवार गोपाल सोनवानी, केशबो राम व सुखदास क्षेत्रपाल समेत ग्रामीणों का आरोप है की विगत 15 वर्षो में 108 लोगो की मौत केवल किडनी बिमारी से हुई है,रोकथाम के उपाए पर्याप्त नही किए गए,
तेल नदी का पानी हो या पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा या पीड़ित परिवार को रोजगार की व्यवस्था नही दिया गया।गांव के हालात नही बदले इसलिए गांव छोड़ने को लोग मजबूर हैं।
मामले में जनपद सीईओ प्रतीक प्रधान ने कहा की मुझे 10,12 की सूचना हैं,क्यों गांव छोड़ रहे है कारण व सच्चाई जानने एडिशनल सीईओ के नेतृत्व में एक जांच टीम भेजा जा रहा है।रिपोर्ट कलेक्टर को सौपा (Gariyaband News) जायेगा।
मामले की पड़ताल में जो गांव छोड़ने के जो वजह ग्रामीणों ने हमे बताया ,जो तथ्य सामने निकल कर आए वो इस तरह से हैं।
वजह 1_108 की मौत,30 से ज्यादा मरीज दवा के लिए भगवान भरोसे_पंचायत के जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के मुताबिक गांव में विगत 15 वर्षो में 108 लोगो की मौत किडनी की बिमारी से हुई है। ताजा जांच में 30 से ज्यादा लोगो के क्रियेटिन लेबल मानक से बढ़े हुए मिले जिन्हे दवा देकर उपचारित करना है।
इनमे से आधे को भी नियमित दवा नही मिल रहा है।गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोला गया ताकि किडनी रोगियों का आरंभिक उपचार व निगरानी हो सके,नियमित डॉक्टर की पदस्थापना भी किया गया। पर यह सुविधा केवल सफेद हाथी साबित हुआ।ग्रामीण बताते है वीआईपी दौरे में अस्पताल स्टाफ व डॉक्टर से भर जाता है।
जाते ही मरीजों को दवा के लिए तरसना पड़ रहा है।पहले सब कुछ ठीक ठाक था, बीते 6 माह से व्यवस्था सुधारने कोई ध्यान नही दे रहे।पहले की तरह जिले के अफसर पीड़ितो के फरियाद सुनने कोल तक नही उठा रहे हैं।
किडनी मरीज जीवन पिछले 6 दिनो से दर्द से जूझ रहा है पर उसे कोई दवा देने वाला नही है।बच्चो में बिमारी न आ जाए इसलिए कुछ परिवार उनके सुनहरे भविष्य के खातिर गांव छोड़ दिया
वजह 2_तेल नदी का पानी नही मिला,जो मिल रहा है पर्याप्त नही _ पिछले 5 वर्षो में किडनी की बिमारी से मरने वालो में ज्यादातर ने नेताओं व अफसरों के सामने तेल नदी से पानी की मांग किया था,कांग्रेस सरकार में आश्वसन मिले ,12 करोड़ लागत से तेल नदी का पानी देने समूह जल प्रदाय योजना की मंजूरी मिली,
लेकिन आज तक योजना का क्रियान्वयन नही हुआ फाइलों में अटका रहा।फिजूल खर्ची के लिए गांव में 6वाटर रिमूअल प्लांट स्थापित हुए,4 बंद पड़ा है दो चालू है,पर पानी पीने लायक नही आता मान कर ग्रामीण नहाने के उपयोग में लाते हैं।
निष्टिगुडा से सोलर के जरिए गांव में पीने की पानी सप्लाई दिया जा रहा था,साल भर से बंद है।स्कूल पारा रोड पर बने पंप हाउस से पानी सप्लाई हो रही थी,10 दिनो से मोटर में प्राब्लम है कोई सुधार करने नही आया।
वजह 3_रोजगार के नाम पर केवल मनरेगा_ सरकार का निर्देश था की गांव में पीड़ित परिवार के सदस्य या बेवाओ का समूह बना कर उन्हे कौशल प्रशिक्षण , कुटीर उद्योग के माध्यम से रोजगार दिया जाए
।साल भर पहले सिलाई व मशरूम उत्पादन दिखाने का प्रयास किया गया लेकिन उसे भी अमलीजामा नही पहनाया गया।साल के आधे महीने मनरेगा में मजदूरी कर पेट चलाते है।जिन परिवार के मुखिया मर गए या बीमार है ऐसे परिवार का गुजारा मुश्किल हो रहा है।पीड़ित परिवार को आंध्र के तर्ज पर भत्ता देने की मांग पर भी कोई विचार नहीं किया गया।
वजह 4_ विवाह में अड़चन आने लगी_ किडनी पीड़ित गांव का ठप्पा लगना नई पीढ़ी के लिए दुख दाई है, कुछ परिवार में सगाई के बाद टूटे रिश्ते की कहानी बताते हुए बुजुर्ग केशबो राम ने कहा की 1200 की आबादी वाले इस गांव में 100 से ज्यादा युवक युवती विवाह योग्य हो गए हैं,गांव की हो रही दुर्दशा के चलते कोई भी आसानी से रिश्ता नही जोड़ रहा है।साल भर में 2 से 3शादी ही हो पाता है।
भाजपा ने प्रयोग किया,कांग्रेस का कार्यकाल आश्वसन में बिता_ भाजपा सरकार अपने अंतिम कार्यकाल में 2013 के बाद ही सुपेबेड़ा के मामले को गंभीरता से लिया।वर्ष16 से 18 के बीच किडनी रोग का कारण जानने 10 से भी ज्यादा जांच व प्रयोग किए गए,2016 में इंदिरागांधी कृषि विद्यालय की जांच में कैडमियम व क्रोमियम जैसे हेवी मेटल पानी व मिट्टी में घुलना पाया गया।
रोकथाम के लिए कोई ठोस पहल नही हुआ।सरकार बदलते ही बेहतर स्वास्थ सेवा पर जोर दिया।सुविधाएं बढ़ाई गई ,डॉक्टर दवा एंबुलेंस के अलावा डायलिसिस की सुविधा भी उपलब्ध हुआ,लेकिन जिला में स्वास्थ्य अधिकारी बदलते ही इसका फायदा पीड़ितो को नियमित मिलना बंद हो गया।