गरियाबंद, जीवन एस साहू/ नवप्रदेश। केंद्र सरकार की एजेंसी ईडी द्वारा की गई छापेमारी गरियाबंद जिले के शराब प्रेमियों पर भारी पड़ती दिख रही है। छापे की कार्रवाई के बाद से जिले की सरकारी मदिरा दुकानों में बेची जा रही शराब का असर बहुत ही कम हो गया है। मदिरा प्रेमी के मुताबिक शराब का नशा नहीं चढ़ रहा (Gariyaband News) है।
नशा नहीं चढ़ने से मदिरा प्रेमी एक के बजाय शराब की दो बोतल खरीद रहे हैं। गरियाबंद के आबकारी विभाग भी स्वीकार कर रहे हैं की दुकानों में ब्रांडेड शराब उपलब्ध नहीं है। हालांकि विभागीय अधिकारी ने आश्वस्त किया है कि एक सप्ताह के अंतराल में लोगों को उनकी पसंद की शराब उपलब्ध होगी।
अंग्रेजी मदिरा दुकान से सभी तरह की ब्रांडेड शराब दुकान से गायब है मजबूरन कोई भी ब्रांड के शराब खरीदी करने को लोग मजबूर हैं। मदिरा प्रेमियों का कहना है कि फिलहाल जो शराब दुकान में उपलब्ध है उसमें नशा ही नहीं हो रहा (Gariyaband News) है।
देवभाग क्षेत्र के सोनामुंडी देशी विदेशी मदिरा दुकान आमलीपदर अंग्रेजी शराब दुकान और उरमाल देशी मदिरा प्रेमी तो सीमा पार के उड़ीसा से शराब खरीद कर नशा कर रहे हैं उनका मानना है कि छत्तीसगढ़ के शराब में जितना नशा होता है उससे कही अधिक नशा उड़ीसा के शराब में होता है।।
इसी के चलते मदिरा प्रेमियों को कड़क नशा देने वाली शराब के लिए ओड़िशा तक की दौड़ लगानी पड़ रही है। वहीं दूसरी ओर इसका बेजा फायदा शराब तस्कर उठाने लगे (Gariyaband News) हैं।
यहां के मदिरा प्रेमियों को सरकारी शराब दुकान की शराब उन्हें रास नहीं आ रही है। इसकी वजह है इस शराब का कम असरकारक होना है। मदिराप्रेमी बताते हैं कि सरकारी दुकानों की शराब पीने से पहले जैसा नशा नहीं चढ़ता।
एक पौव्वा पीकर मस्त हो जाने वाले लोग पूरी बोतल गटक जाते हैं, तब भी उन्हें नशा नहीं चढ़ता। यहां की सरकारी दुकानों से खरीद कर शराब पीने को लोग अब पैसे की बर्बादी मानने लगे हैं। आलम यह है कि जो लोग बिना शराब सेवन किए रह नहीं पाते, वे लोग अब अपनी लत पूरी करने के लिए पड़ोसी राज्य ओड़िशा की वैध शराब दुकानों और अवैध दारू अड्डों तक की दौड़ लगाने लगे हैं। वहां उन्हें कम पैसों में ज्यादा नशा देने वाली शराब मिल जाती है।
लोग मोटर साईकिलों और दीगर साधनों से देवभाेग ब्लॉक की सीमा से लगे ओड़िशा की शराब दुकानों तक जाकर वहां से अपनी जरूरत के मुताबिक शराब खरीद लाते हैं। मगर इसके लिए उन्हें समय जरूर जाया करना पड़ता है।
सूत्र बताते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी ) द्वारा पिछले दिनों राजधानी रायपुर में आबकारी विभाग के अफसरों के ठिकानों और कुछ दफ्तरों पर छापेमारी की गई थी। इसके बाद से ही जिले की सरकारी दुकानों की शराब भी आश्चर्यजनक ढंग से बेजान हो चली है।
छापे की कार्रवाई के बाद से यहां की सरकारी दुकानों में बिकने वाली देसी, मसाला और अंग्रेजी शराब की गुणवत्ता में काफी गिरावट आ गई है। शराब इस कद्र घटिया स्तर की होती है कि कितनी भी पी जाएं, लेकिन सुरूर नजर ही नहीं आता। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि ईडी के छापों का साइड इफेक्ट गरियाबंद के शराब प्रेमियों पर पड़ रहा है।
दरअसल उत्पादन प्रभावित होने से जिले में शराब की सप्लाई कम हुई है। खासतौर पर कई लोकप्रिय ब्रांड की शराब सरकारी दुकानों में उपलब्ध नहीं है। अंग्रेजी दुकानों में केवल सस्ती गोवा ब्रांड शराब ही मिल रही है। ऐसे में मदिरा के शौकीन ओडिशा तक जाने मजबूर हो रहे हैं।
शराब की क्वालिटी निम्न होने के बाद भी जिले में संचालित 15 देशी और विदेशी मदिरा दुकान में मार्च में 51 प्रतिशत एवं अप्रैल माह में 77 प्रतिशत शराब की अधिक खपत हुई है। मार्च माह में 14 करोड़ तो अप्रैल माह में 12 करोड़ रुपए के शराब बिक्री हुए हैं।
वर्जन : प्रभाकर शर्मा,जिला आबकारी अधिकारी गरियाबंद…
कंपनियों को लेट से लाइसेंस जारी हुआ है जिसके चलते दुकानों में शराब आपूर्ति नहीं हो रहा है। एक सप्ताह के अंदर सभी ब्रांड के शराब उपलब्ध होगी।