गरियाबंद/नवप्रदेश। Gariaband Municipality : नगर पालिका प्रशासन एवं राजस्व प्रशासन बीते कुछ समय से गरीबों पर लगातार जुल्म करने में उतर आए हैं। नगर के बस स्टैंड को चकाचौंध करने के चक्कर में प्रशासन अब तक दर्जनों फुटकर विक्रेता को बेदखल कर चुके हैं। बस स्टैंड से दुकानों को हटाए जाने के बाद फुटकर व्यापारी दर बदर भटकने को मजबूर हैं,लगातार कार्यवाही परेशान लोग धंधा करना छोड़ किसी बड़े व्यपारी के दुकानों में झाड़ू पोंछा लगाने मजबूर हैं।
शनिवार को हुए घटनाक्रम ने नगर वासियों को झकझोर कर रख दिया है,बस स्टैंड में 50 सालों से होटल संचालन कर रहे एक सेवक निषाद नाम के व्यापारी पर दुकान को तोड़ने प्रशासन ने इतना दबाव बना दिया की दबाव से व्यथित इस युवक ने स्वयं पर पेट्रोल डालकर आग लगाने माचिस की तिली जला लिए थे लेकिन पास खड़े कुछ लोगों ने माचिस की तिली को पकड़कर एक बड़े हादसा होने से बचा लिए।
लेकिन इस घटनाक्रम के बाद से आम लोगो में प्रशासन की इस तरह की कार्यवाही से भारी गुस्सा है। घटना की जानकारी होने पर जिला प्रशासन के अधिकारी और पालिका प्रशासन मौके पर पहुंचे थे। नगर वासियों के गुस्सा का सामना भी इन अधिकारियों को करना पड़ा। चूंकि सेवक निषाद 50 वर्ष पहले से दुकान संचालन कर रहे हैं,उन्हें शासन ने पट्टा भी दिया था किंतु कुछ समय पहले उनका पट्टा निरस्त कर दिया गया,जिसके बाद सेवक निषाद ने कार्यवाही को गलत बताते हुए कमिश्नर रायपुर में सुनवाई के लिए अर्जी दाखिल किया है। जिस पर अभी कोई फैसला नहीं किया है।
सेवक निषाद का होटल गरीबों के लिए
सेवक निषाद बहुत व्यवहार कुशल होटल व्यवसाई है, बहुत कम कीमत पर गरीब लोगों को भोजन परोसता है, जिसके चलते उनके दुकान में पेट की भूख मिटाने लोग बड़े संख्या में आते हैं, जिनके पास खाने के लिए पैसा तक नहीं होता है ऐसे लोगों को सेवक निषाद मुफ्त में भी खाना खिलाते है। उनके दुकान की भीड़ देख कुछ लोगों को रास नहीं आया और उनके दुकान को तोड़नवाने में लगे हुए है।
इस तरह से अब तक बहुत से फुटकर व्यापारी प्रशासन के कार्यवाही प्रभावित हुए हैं,बस स्टैंड से हटाकर उन्हें गौरव पथ पर जगह दिया गया लेकिन उस रास्ते में कोई आता जाता नही इस लिए कोई धंधा नहीं चलता,जिसके कारण बहुत लोगों अपना दुकानदारी ही बंद कर दिया है।
साप्ताहिक बाजार को नहीं मिला है स्थायी जगह
नगर वासियों के मुताबिक पालिका प्रशासन बड़े व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए छोटे व्यापारियों को उनके जगहों से हटा रहे हैं। अब तक साप्ताहिक बाजार को स्थायी जगह नहीं मिला है, हटरी बाजार से हटाकर गांधी मैदान में बाजार लगाया गया फिर कुछ दिनो बाद इस जगह से भी इन्हें बेदखल कर दिया गया,गांधी मैदान से मंडी परिसर जब मंडी प्रशासन ने विरोध किया तो शराब भट्टी जाने वाले मार्ग में साप्ताहिक बाजार लगाया जा रहा है। इस तरह से प्रशासन छोटे व्यापारियों पर जुल्म ढा रहे हैं। सबसे ताज़्ब की बात यह है कि राजनीतिक दल के लोग भी चुपके से तमाशा देख रहे हैं।