‘सतत जल प्रबंधन के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी’ पर क्या बोले एक्सपर्ट…
रायपुर/नवप्रदेश। Future Agriculture : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, रायपुर के मृदा एवं जल अभियांत्रिकी विभाग तथा सिंचाई जल प्रबंधन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के साथ शनिवार को ‘सतत जल प्रबंधन के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Future Agriculture) के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, रिमोट सेंसिंग आदि के अनुप्रयोगों सहित उन्नत तकनीक का समावेश करके आधुनिक कृषि किया जा सकता है, इसलिए आज कृषि क्षेत्र में भी भविष्य की कल्पना कर सकते है।
स्वचालित ड्रिप सिंचाई प्रणाली के बारे में मिली जानकारी
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. आर.के. बाजपेयी ने बहुमूल्य सिंचाई जल के विवेकपूर्ण उपयोग और प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग पर जोर दिया। उन्होंने भू-स्थानिक तकनीक का उपयोग कर कृत्रिम भू-जल पुनर्भरण प्रौद्योगिकी के सफल प्रदर्शन का उल्लेख किया। उन्होंने सिंचाई जल प्रबंधन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना रायपुर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित मिट्टी नमी सेंसर आधारित स्वचालित ड्रिप सिंचाई प्रणाली के बारे में जानकारी दी।
जल उत्पादकता में सुधार में उन्नत तकनीकों का करें उपयोग
भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, भुवनेश्वर के निदेशक डॉ. आत्माराम मिश्रा ने जल बजट की आवश्यकता और जल उत्पादकता (Future Agriculture) में सुधार के लिए उन्नत तकनीकों को अपनाने का उल्लेख किया। डॉ. प्रदीप के. नाइक ने जल संसाधन प्रबंधन परिदृश्य और इसके उचित प्रबंधन की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया। डॉ. एन. के गोंटिया, प्राचार्य एवं डीन, कृषि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय, जूनागढ़ गुजरात, डॉ. पी. के. सिंह डीन, सीएईटी, महाराणाप्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान और डॉ. एस. डी. गोरंटीवार, प्रमुख कृषि इंजीनियरिंग, महात्माफुले कृषि विद्यापीठ राहुरी महाराष्ट्र ने प्रतिष्ठित तकनिकी विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित थे।
एक्सपर्ट ने कहा
सेंसर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, भू-स्थानिक तकनीकों, मृदा संरक्षण उपायों, हाइड्रोपोनिक्स, ड्रोन, मोबाइल ऐप एवं अन्य सतत (Future Agriculture) जल प्रबंधन के लिए सभी संभावित उन्नत तकनीकों पर प्रकाश डाला। अधिष्ठाता एवं वेबिनार के संयोजक डॉ एम.पी. त्रिपाठी ने स्वागत भाषण दिया एवं इस वेबिनार को समसामयिक बताते हुए इसके महत्ता का उल्लेख किया। वेबिनार का संचालन डॉ. धीरज खलखो वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं आयोजन सचिव द्वारा किया गया।