Freebies Schemes : भारत के लगभग आधे प्रदेशों में मुफ्तखोरी की योजनाओं के चलते वहां की सरकारों पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। इसमें सबसे आगे पंजाब है। कमोवेश यही स्थिति अन्य राज्यों की है जहां सरकार का हर साल सैकड़ों करोड़ रूपए सिर्फ ब्याज चुकाने पर व्यय हो जाता है। दरअसल सत्ता पाने के लिए राजनीतिक पार्टियां आसमानी वादे कर लेती है और फिर उन्हे अमलीजामा पहनाने के लिए उन्हे कर्ज लेना पड़ता है।
कर्ज का बोझ बढऩे लगता है तो ये राज्य केन्द्र सरकार से मदद की गुहार लगाते है। विशेष पैकेज की मांग करते है। यदि केन्द्र सरकार इन राज्यों की मदद न करें तो पंजाब, बंगाल और राजस्थान सहित कई राज्या दिवालिया घोषित हो जाएं। केन्द्र सरकार यदि मदद करने से हिल हवाला करती है तो ये राज्य केन्द्र पर उपेक्षा करने का या सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते है लेकिन यह नहीं बताते की वे कर्ज में क्यों डूबे है।
वोट कबाडऩे के लिए किसानों का कर्जा माफ करने लोगों को मुफ्त राशन देने, नि:शुल्क बिजली (Freebies Schemes) और पानी देने जैसी ढेरो घोषणां कर देते है और जब सत्ता में आ जाते है तो इन वादों को पूरा करने के लिए वे कर्ज लेने लगते है। लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां यही कर रही है। इनमें सबसे आगे आम आदमी पार्टी निकल गई है जिसने नि:शुल्क बिजली पानी का वादा कर के पहले दिल्ली में सरकार बनाई और अब पंजाब में भी उसकी सरकार बन गई है।
पंजाब के मुख्यमंत्री लगातार केन्द्र सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है, क्योंकि पंजाब सरकार का खजाना खाली पड़ा है और वहां की सरकार गले तक कर्ज में डूबी हुई है। चादर से बाहर पैर फैलाने वालों का यही हश्र होता है। अब तो कायदे से यह नियम बनाया जाए कि अपने वादे राज्य सरकारें अपने बलबूते पर पूरा करें। उसके लिए केन्द्र सरकार अपनी मदद सीमित रखें।
तभी वे मुफ्तखोरी (Freebies Schemes) को बढ़ावा देना बंद करेंगी ओैर कंगाली की कगार पर पहुंचने से बच पाएगी। मुफ्तखोरी को बढ़ावा देना वैसे भी उचित नहीं है। आम जनता के गाढ़े खून पसीने की कमाई प्रदेशों के विकास पर लगनी चाहिए न की उन पैसों का दुरूपयोग कर मुफ्तखोरी को बढ़ावा दिया जाएं।
