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Navpradesh Indepth ; जोगी पर एफआईआर के लिए अन्य आदेश की जरूरत नहीं

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नवप्रदेश/रायपुर। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री (former cm) अजीत जोगी (Ajit Jogi) के हाई पॉवर कमेटी द्वारा आदिवासी (tribal) न होने की बात स्पष्ट किए जाने के बाद अब उनके भविष्य को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। कानून के मुताबिक उन पर कलेक्टर एफआईआर (fir) कर सकते हैं। उनके द्वारा ली गई तमाम सुविधाओं की वसूली भी हो सकती है।

नवप्रदेश ने बात की प्रदेश के कुछ कानूनी विशेषज्ञों से। जिसमें सामने आया कि जोगी इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट जा सकते हैं। वहीं सक्षम अधिकारी उनके खिलाफ एफआईआर (fir) भी दर्ज करा सकते हैं, इसके लिए उन्हें अन्य किसी आदेश की जरूरत नहीं है।

प्रदेश के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर का कहना है कि एक बार हाई पॉवर कमेटी ने तय कर लिया तो सक्षम अधिकारी को उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए फिर किसी अन्य आदेश की जरूरत नहीं होती।

ठाकुर के मुताबिक, जोगी (Ajit Jogi) का जाति प्रमाण पत्र गलत है या फर्जी इसका निर्णय कोर्ट ही कर सकता है। गलत व फर्जी प्रमाण पत्र में बारीक सा अंतर है। इसके मद्देनजर सक्षम अधिकारी मामले की जांच कराने के लएि पुलिस में एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।

प्रथमदृष्ट्या यदि पुलिस को लगता है कि फर्जीवाड़ा हुआ है तो वह केस दर्ज कर आगे की जांच कर सकती है। वह संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर सकती है।

ऐसे में निश्चित है और होना भी चाहिए कि जोगी परिवार कोर्ट जाए। व पुलिस को कार्रवाई करने से रोकने की मांग करें। रहा सवाल सुविधा वापस लेने का तो यह राज्य सरकार की मंशा पर निर्भर करेगा।

कुछ न कुछ तो होगा :

वहीं हाईकोर्ट की जूनियर वकील ऋिषिका सिंह का कहना है कि हाईपॉवर कमेटी के फैसले के बाद मामले में कुछ न कुछ तो होगा।

कलेक्टर एफआईआर दर्ज करा सकते हैं, जब तक कि कोर्ट इस पर रोक के ऑर्डर नहीं दे देता। जहां तक सुविधाएं वापस लेने की बात है तो इस पर कोर्ट की लंबी प्रक्रिया के बाद ही कोई फैसला हो सकता है।

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