बस्तर जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में वानिकी कार्यों ने स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का नया जरिया बना दिया है (Forestry Employment in Naxal Areas)। चांदामेटा, मुण्डागढ़, छिन्दगुर और तुलसी डोंगरी जैसे क्षेत्र, जो कभी नक्सलियों की ट्रेनिंग और हिंसक गतिविधियों के केंद्र माने जाते थे, आज शांति, विकास और आर्थिक सशक्तिकरण की नई पहचान बना रहे हैं।
वन विभाग ने स्थानीय युवाओं को वानिकी कार्यों का प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें स्थायी आजीविका उपलब्ध कराई है। इससे ग्रामीणों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और असामाजिक गतिविधियों से दूरी बनाने की प्रवृत्ति बढ़ी है (Economic Empowerment & Skill Development)।
स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और प्रशिक्षण
लंबे समय तक नक्सलियों के प्रभाव और सामाजिक अविश्वास के कारण ग्रामीण विकास की राहों में बाधा थी। अब वन विभाग के निरंतर संवाद और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों का नजरिया बदल गया है। स्थानीय युवाओं को घर के पास ही रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। वानिकी कार्यों में शामिल ग्रामीणों ने अब हिंसा के बजाय विकास और आजीविका को प्राथमिकता दी है (Community Participation & Peace Initiatives)।
बांस वन प्रबंधन से आर्थिक लाभ
मुण्डागढ़ के बांस वनों में वैज्ञानिक तरीके से वन-उपचार किया गया। इस वर्ष ग्रामीणों को लगभग 20 लाख रुपये का तत्काल रोजगार मिला, जो सीधे उनके बैंक खातों में जमा होगा। अगले तीन वर्षों में लगभग 1.37 करोड़ रुपये अतिरिक्त रोजगार सृजित होने की संभावना है। इस क्षेत्र से प्राप्त 566 नोशनल टन बांस का उत्पादन वन प्रबंधन समिति के माध्यम से ग्रामीण विकास कार्यों में खर्च किया जाएगा (Bamboo Forest Management Benefits)।
क्षेत्रीय वानिकी उपचार बढ़ाएगा रोजगार
छिन्दगुर और चांदामेटा के पहाड़ी क्षेत्रों में प्रवरण सह सुधार कार्य के तहत बीमार, पुराने और मृत वृक्षों को हटाकर जंगल का उपचार किया जा रहा है। इससे ग्रामीणों को 32 लाख रुपये का तत्काल रोजगार मिल रहा है। काष्ठ उत्पादन से प्राप्त आय का 20 प्रतिशत गांव की समिति को मिलेगा। अगले छह वर्षों में इस उपचार कार्य से लगभग 43 लाख रुपये अतिरिक्त रोजगार उत्पन्न होगा।
वन विभाग ने ग्रामीणों की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा है। सर्दी से बचाव के लिए कंबल वितरण और समिति सदस्यों को टी-शर्ट जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति की जा रही है (Local Forestry Support & Welfare Measures)।
हिंसा छोड़ शांति, आजीविका और आत्मनिर्भरता की ओर
वन मंडलाधिकारी उत्तम गुप्ता ने कहा कि जो इलाके पहले भय और हिंसा से पहचाने जाते थे, वे अब शांति, आजीविका और आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हैं। वानिकी कार्यों के माध्यम से जल, जंगल और जमीन का संरक्षण करते हुए ग्रामीणों को स्थायी रोजगार और आजीविका प्रदान की जा रही है। बस्तर के नक्सल मुक्त गांव यह उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं कि जब विश्वास और विकास साथ आते हैं, तब बदलाव निश्चित है। वन विभाग की यह पहल न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी, बल्कि सामाजिक स्थिरता और ग्रामीण कल्याण को भी सुदृढ़ बनाएगी।

