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Forest Department ने 22 पंडों के घर तोड़ने की खबर को बताया निराधार

Forest Department told the news of breaking the house of 22 pandas as baseless

Forest Departdfment

ग्रामीणों की शिकायत पर नियमानुसार हुई थी कार्यवाही, मारपीट-अभद्रता का आरोप तथ्यहीन

बलरामपुर/नवप्रदेश। Forest Department : बीते कल अर्थात 26 सितंबर को एक दैनिक अखबार में ‘मुर्गे, बकरे नहीं दिए तो अफसरों ने तुड़वा दिए पंडो परिवार के 22 घर’ शीर्षक से प्रकाशित हुई खबर को वन विभाग ने निराधार बताते हुए विज्ञप्ति जारी किया। विभाग का कहना है कि प्रकाशित खबर मे पंडो जनजाति समुदाय के लोगों से अभद्रता और मारपीट का उल्लेख किया गया है।

संयुक्त वनमण्डलाधिकारी से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार बीट गार्ड विरेंद्रनगर को ग्रामीणों के द्वारा अवैध अतिक्रमण की शिकायत मिली थी। उसके बाद वनपरिक्षेत्राधिकरी ने 19 वनकर्मियों के दल को अतिक्रमण रोकने और आवश्यक कार्यवाही करने हेतु भेजा था। उक्त टीम के साथ-साथ ग्राम विरेंद्रनगर के 30 से 35 लोग उपस्थित थे।

संरक्षित वन के भीतर विकासखंड वाड्रफनगर के बैकुंठपुर निवासी रामजन्म यादव के द्वारा कच्चे दीवार से बने एक कमरे को खपरे से छाकर अवैध अतिक्रमण किया गया था तथा बैकुंठपुर के बालेश्वर के साथ ही अन्य 20 व्यक्तियों द्वारा अवैध अतिक्रमण के उद्देश्य से बल्ली व खूंटे से झाला बनाया गया था और उसके ऊपर प्लास्टिक की पन्नी लगायी गई थी।

वन अमले द्वारा विरेंद्रनगर नगर के लोगों के समक्ष अतिक्रमण हटाने के लिए समझाया और आपसी समझौते से अतिक्रमण हटा भी लिया गया। उक्त अतिक्रमणा एक माह पुराना है तथा शिकायत के आधार पर वन अपराध प्रकरण क्रमांक 16854 व 16855 जारी किया गया था। जिस संबंध में वनपरिक्षेत्राधिकरी (Forest Department) वाड्रफनगर के निर्देशन में अवैध अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया गया।

अतिक्रमण हटाए जाने के दौरान किसी भी प्रकार की अभद्रता, गाली-गलौज मारपीट नहीं की गई। अतिक्रमण हटाने के दौरान पर्याप्त संख्या में पुरुष व महिला वनकर्मी उपस्थित थे। कार्यवाही के पश्चात रामजन्म यादव के द्वारा भोले भाले पंडो जाति के लोंगो को बरगला कर अनावश्यक आरोप लगाए जा रहे हैं ताकि अन्य लोगों के द्वारा अतिक्रमण किया जा सके।

प्रकरण की समीक्षा में दो प्रमुख तथ्य सामने आये हैं जिसमें संरक्षित वन कक्ष क्रमांक पी0 836 एवं पी0 840 के अतिक्रमण स्थल का जीपीएस कोऑडिनेट लेकर वर्षवार मिलान किया गया। जिसमें वर्ष 2004, 2012 तथा 2017 के मैप में कही भी उक्त कक्षों में कही भी अतिक्रमण व कब्जा दिखाई नहीं दे रहा है।

इससे स्पष्ट है कि उक्त दोनों कक्षों में किया गया अतिक्रमण नया है। साथ ही जांच में एक अन्य तथ्य सामने आया जिसमें कि उक्त अतिक्रमकों का स्वयं का भवन बैकुण्ठपुर में है तथा वे अतिक्रमित वनभूमि (Forest Department) पर जीविकोपार्जन हेतु आश्रित नहीं है।

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