सात नवंबर को रिलीज होने वाली इमरान हाशमी और यामी गौतम अभिनीत फिल्म ‘हक’ (Film Haq Release Case) के प्रदर्शन का रास्ता साफ हो गया है। शाहबानो बेगम की बेटी सिद्दीका बेगम ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की थी।
मंगलवार को सभी पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे गुरुवार को सुनाते हुए अदालत ने याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा जब वीरप्पन और जयललिता जैसे सार्वजनिक व्यक्तित्वों पर फिल्में बन सकती हैं, तो इसमें कोई गलत नहीं है।
याचिकाकर्ता सिद्दीका बेगम का कहना था कि फिल्म ‘हक’ उनकी मां शाहबानो के जीवन पर आधारित है, और इससे परिवार की निजता व भावनाएं प्रभावित होंगी। हालांकि फिल्म निर्माताओं ने अदालत में यह स्पष्ट किया कि ‘हक’ पूरी तरह एक काल्पनिक कहानी है और किसी भी वास्तविक व्यक्ति पर आधारित नहीं है।
उल्लेखनीय है कि शाहबानो बेगम ने वर्ष 1978 में तलाक के बाद गुजारा भत्ता (Maintenance) के लिए सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया था, जिसका फैसला उनके पक्ष में आया था। यह मामला उस दौर में देशभर में महिलाओं के अधिकार और मुस्लिम पर्सनल लॉ को लेकर बहस का केंद्र बन गया था।
क्या था विवाद
फिल्म ‘हक’ के ट्रेलर के बाद शाहबानो के परिवार ने दावा किया था कि फिल्म में दिखाई गई कहानी उनकी जिंदगी से मिलती-जुलती है। परिवार ने आरोप लगाया कि फिल्म में कुछ दृश्य और संवाद उनके व्यक्तिगत जीवन पर टिप्पणी करते हैं। वहीं, निर्माताओं ने जवाब दिया कि फिल्म “महिलाओं की आत्मनिर्भरता और सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष” की कहानी है, न कि किसी एक व्यक्ति की जीवनी।
अदालत ने क्या कहा
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) का अधिकार फिल्म निर्माताओं को भी है। यदि फिल्म में किसी वास्तविक व्यक्ति का नाम या छवि स्पष्ट रूप से इस्तेमाल नहीं की गई है, तो उस पर रोक लगाने का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि “जनहित या सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बनाना रचनात्मक स्वतंत्रता का हिस्सा है।”

