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Festival : इको फ्रेंडली राखियों से सजाई जाएगी भाइयों की कलाई

Festival: Wrists of brothers will be decorated with eco friendly rakhis

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कल्पतरु मल्टी यूटिलिटी सेंटर के उजाला गांव में तैयार राखियों की स्थानीय बाजार में भारी डिमांड

रायपुर/नवप्रदेश। Festival : कल्पतरू मल्टी यूटिलिटी सेंटर सेरीखेड़ी कें उजाला ग्राम संगठन की महिलाओं द्वारा कुछ अलग अंदाज से राखियों का निर्माण किया जा रहा है। ये राखियां पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल है। सब्जियों के बीज, बांस, गोबर, चॉकलेट, मौली धागा से ये राखियां बनायी जा रही है। कुछ बहारी फैंसी बिट्स डालकर इसे यूनिक और आकर्षित बना रही है। इस संगठन की 10 महिलाओ द्वारा राखी बनाने का काम किया जा रहा है।

स्थानीय बाजारों से आने लगे ऑर्डर

रक्षाबंधन का त्यौहार (Festival) नजदीक आने के कारण राखियों की डिमांड में बढ़ोतरी होने लगी है। समूह की महिलाओं ने बताया कि राखियों और थालियों के लिए अब उन्हें शासकीय विभागों जैसे खादी ग्रामोद्योग, संचालनालय इंद्रावती भवन पर्यावास भवन इत्यादि से भी ऑर्डर मिलने लगे हैं। समूह की महिलाओं द्वारा अलग-अलग डिजाइन में तैयार की गई राखियों की कीमत भी अलग-अलग रखी गई है।

स्थानीय बाजारों से भी प्रतिदिन कई सैकड़ों ऑर्डर मिलने लगे हैं। ग्राम संगठन की महिलाओं द्वारा बीजों एवं गोबर के फैंसी राखियों को बिहान के विभिन्न विक्रय केन्द्र जैसे अंबुजा मॅाल, मेगन्टों मॉल, इंन्द्रवती भवन कैंटिन तथा ग्रामीण हाट बाजार आदि में भी विक्रय किया जा रहा है।

पर्यावरण अनुकूल ताड़ के पत्ते और गन्ने से बनी पूजा की थाली

समूह की महिलाओं (Festival) द्वारा कोविड प्रोटोकाल को फालो करते हुए राखियां तैयार कर रहे है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मास्क लगाकर राखियों का निर्माण किया जा रहा है। संगठन की महिलाओं ने बताया कि राखी के अलावा पूजा के लिए पर्यावरण अनुकूल पाल्म लीफ के पत्ते एवं गन्ने से बने पत्तल के पूजा थाली का निर्माण भी किया जा रहा है।

जीविकोपार्जन में महिलाओं की भूमिका : कलेक्टर

कल्पतरू मल्टी यूटिलिटी सेंटर में कलेक्टर सौरभ कुमार एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मयंक चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कई प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं का कौशल उन्नयन कर उन्हें प्रशिक्षित कर हुनरमंद बनाया जा रहा है ताकि परिवार के जीविकोंपार्जन में अपना हाथ बटां सकें।

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