Editorial: अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय कार्यवाही कार्यदल (एफएटीएफ) ने अपनी एक सौ पेज की रिपोर्ट में आतंक का पर्याय बन चुके पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया है। एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि पाकिस्तान को बढ़ावा देने से बाज नहीं आ रहा है। गौरजलब है कि एफएटीएफ ने 2022 तक पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। जिसकी वजह से पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय वित्तिय संस्थानों से मदद नहीं मिल पा रही थी। उसके रोने गिड़गिड़ाने पर यदि विश्व बैंक सहित अन्य वित्तिय संस्थान उसे थोड़ा बहुत कर्ज देते भी थे इसके लिए पाकिस्तान पर कड़ी शर्तें लगाई जाती थी।
नतीजतन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खोखली होती गई। 2022 में पाकिस्तान ने अपने आका अमेरिका की मदद से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर होने में जैसे तैसे सफलता पाई थी और उसने यह झूठ बोला था कि पाकिस्तान ने अब आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। किन्तु पाकिस्तान ने कभी आतंकवाद की आग को हवा देना बंद नहीं किया।
भारत लगातार पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर बेनकाब करता रहा और उसे विश्व बैंक सहित अन्य वित्तिय संस्थानों से मदद मिलने पर आपत्ति उठाता रहा। किन्तु अमेरिका की सह पर पाकिस्तान को इन संस्थानों से आर्थिक मदद मुहैया होती रही। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भी अमेरिका के इशारे पर पाकिस्तान को विश्व बैंक से कर्ज मिल ही गया। इसका भारत ने कड़ा विरोध किया था।
बहरहाल अब एफएटीएफ ने अपने रिपोर्ट में पाकिस्तान को आइना दिखा दिया है और इससे भारत का दावा सही साबित हुआ है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान में आतंकवादी खुलेआम घूम रहे हैं और आतंकी संगठनों को पाकिस्तान सेना संरक्षण दे रही है। पाकिस्तान इन आतंकवादी संगठनों को न सिर्फ मदद दे रहा है बल्कि इनके जरिये वह भारत में आतंकी घटना को अंजाम देने के नापाक मनसूबे भी पाले हुए है।
भारत द्वारा आपरेशन सिंदूर के जरिये पाकिस्तान के आतंकी अड्डो को तबाह किये जाने से भी पाकिस्तान ने कोई सबक नहीं लिया है और वह फिर से आतंकी ठिकानों को आबाद करने में जुटा हुआ है। बहरहाल भारत की पहल पर अब एफएटीएफ ने पाकिस्तान के प्रति कठोर रूख अख्तियार किया है जिसकी अगली मीटिंग में पाकिस्तान के बारे में फैसला लिया जाएगा। उसे फिर से ग्रे लिस्ट में या फिर ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाएगी।