आंखों की सूजन का उपचार
eye swelling: हल्दी और रसौत से सिद्ध दूध में नमक मिलाकर नेत्रों पर सेक करने से बहुत लाभ होता है। नैत्राशनि रस एक रत्ती से दो रत्ती तक रोगानुसार उष्ण जल से सुबह-शाम सेवन करने से बातज, पित्तज एवं कफज नेत्र रोग नष्ट होता है। अभ्रक भस्म 200 मिग्रा. मात्रा में मधु और घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से त्रिदोष से उत्पन्न सूजन नष्ट होती है। सहिजन के पत्तों का रस 4 ग्राम मात्रा, सेंधा नमक 2 मिग्रा. शहद एक ग्राम-सभी को एक जगह मिलाकर परिवेचन करने से सूजन नष्ट होती है।
- अरण्ड के पत्ते, जड़ और छाल, कंअकारी को जड़ से बकरी को पाक करके हल्के उष्ण दूध से सेंचन क्रिया से सूजन नष्ट होती है।
- प्रवाल भस्म 200 मिग्रा. मधु और घृत मिलाकर चाटने और दूध पीने से पित्तज सूजन नष्ट होती है।
- मधुयष्टि अजादुग्ध लेप दिन में दो बार इस्तेमाल करने से वात श्लेष्मा से उत्पन्न अभिष्यंद नष्ट होता है।
- पथ्यादि अंजन जल में घिसकर नेत्रों पर लगाने से रक्तज अभिष्यंद नष्ट होता है।
सप्तामृत और 2 मिग्रा मात्रा में घी और मघु के साथ सेवन करने से अश्रुस्राव, दाह, शूल, कण्डू, रक्तण, अभिष्यंद में खुद लाभ होता है।
मुलहठी, त्रिफता प्रत्येक 1 भाग, लौह भस्म 4 भाग, खरल में मिलाकर मधु और घी के साथ सेवन करने से नेत्र रोग नष्ट होता है। मात्रा–एक से दो मिग्रा.।
रक्ताभिष्यंद होने पर त्रिफला, मुलहठी, चीनी, नागरमोथा और लोध्र को शीतल जल में पीसकर जल से सेक करने पर बहुत लाभ होता है। नेत्रबिंदु औषधि की दो-दो बूंदे नेत्र में दिन में तीन-चार बार डालने से सब तरह के अभिष्यंद नष्ट होते हैं। नेत्रों को जल से स्वच्छ करके औषधि डालें। महात्रिफलादि घृत 15 ग्राम मात्रा का सुबह-शाम मिश्री मिले दूध के साथ सेवन करने से नेत्रों के अभिष्यंद में बहुत लाभ होता है। चंद्रोदय बर्तिका गुलाबजत में घिसकर लगाने से अभिष्यंद नष्ट होता है। दिन में तीन-चार प्रयोग करें।
यह उपाय इंटरनेट के माध्यम से लिए गए हैं कृपया अपने डाक्टर से सलाह लेकर ही उपचार करें।