रायपुर/नवप्रदेश। Elephants Eat Paddy:छत्तीसगढ़ सरकार अब आम जनजीवन तक पहुँच चुके भूखे हाथियों के भोजन के लिए सरकारी धान की व्यवस्था करने का मन बना लिया है। जिसके लिए वन विभाग ने प्रस्ताव भी बना लिया है। वन विभाग ने फिलहाल प्रदेश के सबसे ज्यादा हाथी प्रभावित 9 जिलों के लिए बड़े स्तर पर धान खरीदी का प्रस्ताव दिया है।
अजब सरकार की है गजब कहानी – नेता प्रतिपक्ष
सरकार के इस फैसले के बाद मुख्य विपक्षी दल बीजेपी की नजर इस योजना पर भी पड़ी है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रदेश सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है जिसमें हाथियों को जंगल व बस्तियों से दूर रखने के लिए सड़ा हुआ या अंकुरित धान खिलाने (Elephants Eat Paddy) की योजना प्रदेश सरकार बना रही है। उन्होंने आरोप लगते हुए कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रदेश की सरकार धान खरीदी के बाद हुए भ्रष्टाचार से बचने के लिए अब भ्रष्टाचार की नई बिसात बिछा रही है। इससे तय है कि हाथियों के नाम पर मार्कफेड से अंकुरित व सड़े हुए धान को करीब 2050 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार जो भी कर ले वह कम है।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि प्रदेश के धान संग्रहण केन्द्रों में अब तक करीब 0.19 मीट्रिक टन धान का उठाव नहीं हुआ है। मिलर्स भी कस्टम मिलिंग करने से मना कर दिए है। खरीफ सीजन 2019-20 के संग्रहित धान पूरी तरह से सड़ चुका है लेकिन जिस तरह से हाथियों के नाम पर इस धान को खरीदने की योजना बनाई जा रही है ये सबके समझ से परे है और यह प्रदेश की अजब सरकार की गजब कहानी को बताती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार के पास धान खरीदी को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं है। अब जब धान खरीदी को लेकर भारी भ्रष्टाचार हुआ है उस पर पर्दा डालने के लिए हाथियों का सहारा लिया जा रहा है।
हाथियों को धान खिलाने सरकार का निर्णय
दरअसल, छत्तीसगढ़ में हाथियों की धमक अब ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहर में भी देखा जा रहा है। कमोबेश हाथियों के शहर और गांवों में आतंक मचाने की शिकायत लगातार मिल रही है। प्रदेश में कुछ गांवों में हाथियों का उत्पात दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है।जिससे कई ग्रामीण हाथियों का शिकार भी हुए हैं। वहीं कई बार आत्मरक्षा के लिए ग्रामीण हाथियों पर हमला भी कर देते हैं।
गजराजों को आम जनजीवन से दूर रखने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने नई योजना (Elephants Eat Paddy) बनाई है। इस प्लान के तहत राज्य सरकार हाथियों को खिलाने के लिए धान खरीदेगी। धान का ढेर प्रभावित गांवों के बाहर वन विभाग के माध्यम से रखवाया जायेगा। ताकि भोजन की तलाश में निकले हाथियों के दल को गांव के बाहर ही भरपेट भोजन मिल जाए और ये हाथी गांवों में घुसकर जान-माल का नुकसान न करे।
सरकार की कार्य योजना
भूपेश सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर ख़रीदे गए धान का उपयोग न होकर ये सड़ जा रहा है। राज्य सरकार की माने तो केंद्र सरकार ने एफसीआई के माध्यम से पूरा चावल लेने से इनकार कर दिया है। जिसके कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली में जरूरत से कहीं ज्यादा धान बचा रह गया है। ऐसे में सरकार उसको खपाने का उपाय भूख से आम जनजीवन तक पहुँचते हाथियों के लिए खोज निकाला है। धान से एथेनाल बनाने का प्रस्ताव केंद्रीय अनुमति के बिना नहीं हो सकता। ऐसे में भूखे पेट हाथियों को राज्य में अधिशेष धान का सेवन करवाकर शांत करने की यह एक अच्छी पहल मानी जा सकती है।