Election Commission Decisions : महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग के फैसले को लेकर विधवा विलाप किया है और केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह क्रूर है। गौरतलब है कि पार्टी के चुनाव चिन्ह तीर कमान और पार्टी के नाम को लेकर शिवसेना के दोनो गुटों के बीच चल रही लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी का चुनाव चिन्ह और नाम तय करना चुनाव आयोग का काम है।
इस विवाद का निपटारा चुनाव आयोग ही करेगा। चुनाव आयोग (Election Commission Decisions) ने शिवसेना के निशान तीर कमान को फ्री कर दिया और दोनों की गुटों से नए चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन मांगे। उद्धव ठाकरे ग्रुप ने मशाल चुनाव चिन्ह मांगा जो उसे मिल गया। वहीं शिंदे गुट ने दो तलवार और ढाल चुनाव चिन्ह मांगा वह भी उसे आबंटित कर दिया गया। मशाल चुनाव चिन्ह मिलने पर शिवसेना ने पहले तो खुशी जताई थी लेकिन अब उद्धव ठाकरे चुनाव अयोग पर निशाना साध रहे है।
वहीं पार्टी के नाम को लेकर भी दोनों गुटों में चल रहे घमासान का निपटारा करते हुए चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को अलग अलग नाम दिए है। उद्धव ठाकरे गुट को चुनाव अयोग ने उद्धव बालासाहेब ठाकरे शिवसेना नाम आबंटित किया है वहीं शिंदे गुट को बालासाहेब ची शिवसेना नाम दिया गया है। ऐसे में चुनाव आयोग ने आखिर कैसे उद्धव ठाकरे गुट के साथ पक्षपात किया है? चुनाव अयोग का यह निर्णय स्वागत योग्य है क्योकि पार्टी के चुनाव चिन्ह और नाम का फैसला इतनी जल्दी नहीं हो सकता जबकि मुंबई में एक सीट पर विधानसभा के उपचुनाव होने जा रहे है।
ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग ने तीर कमान चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर दोनों की गुटों को उनकी पसंद का चुनाव चिन्ह दे दिया है और उनके मन माफिक नाम भी दे दिए है। इसके बावजूद उद्धव ठाकरे केन्द्र सरकार पर शिवसेना को खत्म करने का आरोप लगाकर खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचे वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे है। उनकी पार्टी की जो दुर्दशा हुई है इसके लिए उद्धव ठाकरे खुद जिम्मेदार है और अब वे केन्द्र सरकार पर आरोप लगाकर महाराष्ट्र की जनता की सहानुभूति प्राप्त करना चाहते है।
इसमें वे कितने सफल होंगे यह शीघ्र होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव के परिणाम बताएंगे। दरअसल उद्धव गुट ने पहले ही शिवसेना बाळासाहेब ठाकरे, शिवसेना बालासाहेब प्रबोधनकार ठाकरे और शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे जैसे 3 नाम आयोग को अपनी पसंद के तौर पर बताया था। इसके बाद सोमवार (Election Commission Decisions) शाम को चुनाव आयोग ने सारी जांच पड़ताल कर इसपर अंतिम फैसला दे दिया।