नई दिल्ली/नवप्रदेश। Election Commission : ममता बनर्जी और शरद पवार समेत कई को चुनाव आयोग से बड़ा झटका लगा है, वहीं अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। दरअसल चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है।
वहीं अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। चुनाव आयोग ने इन तीनों पार्टियों का देशभर में वोट शेयर 6 प्रतिशत से भी नीचे जाने के बाद ये फैसला लिया है। वोट प्रतिशत कम होने के मामले में मायावती की पार्टी बसपा के हाथ से भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीना जा चुका है।
क्यों छिना नेशनल पार्टी का दर्जा
चुनाव आयोग ने सोमवार शाम एक आदेश जारी करते हुए तीन राजनीतिक दलों का राष्ट्रीय स्तर का दर्जा वापस ले लिया। इसके अलावा चुनाव आयोग ने दो क्षेत्रीय पार्टियों का दर्जा भी वापस ले लिया है। क्षेत्रीय दलों में निर्वाचन आयोग ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) से आंध्र प्रदेश में और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) से UP में क्षेत्रीय दल का दर्जा वापस लिया गया है।
इस आदेश के बाद अब रालोद एक पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है। साथ ही ECI ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया, जिसकी कि AAP लंबे समय से मांग कर रही थी। ऐसे में यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि आखिर इन दलों का यह दर्जा क्यों छिना? इसके नियम क्या हैं?
दरअसल चुनाव आयोग ही मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य राजनीतिक दलों के स्टेटस की समीक्षा करता है, जो सिंबल ऑर्डर 1968 के तहत एक सतत प्रक्रिया है। साल 2019 से अब तक चुनाव आयोग ने 16 राजनीतिक दलों के स्टेटस को अपग्रेड किया है और 9 राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों के करंट स्टेटस को वापस लिया है।
राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए क्या होना जरूरी है?
तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई से चुनाव आयोग ने नेशनल पार्टी का दर्जा वापस लिया है। इसके पीछे की वजह ये है कि देशभर में इन तीनों पार्टियों का वोट शेयर 6 प्रतिशत से कम हो गया है। इससे पहले बहुजन समाज पार्टी के साथ भी ऐसा हो चुका है और उसका भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया गया था। वहीं आम आदमी पार्टी इसलिए राष्ट्रीय पार्टी बन गई क्योंकि उसे ऐसा मुकाम पाने के लिए केवल 6 फीसदी वोट शेयर की जरूरत थी, फिर चाहें वो गुजरात के चुनाव में मिलता या फिर हिमाचल प्रदेश के चुनाव में। हालांकि आप को 13 फीसदी वोट शेयर केवल गुजरात में ही मिल गया और वह राष्ट्रीय पार्टी बन गई।
किसी भी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का तमगा हासिल करने के लिए लोकसभा या विधानसभा। चुनाव में चार राज्यों में 6% वोट हासिल करना जरूरी है। इसके अलावा एक तरीका ये भी है कि राजनीतिक पार्टी को लोकसभा की कुल सीटों में से 2 फीसदी सीटें कम से कम तीन राज्यों से मिली हों। या फिर पार्टी को चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिल गया हो। इन तीनों में से कोई भी एक शर्त पूरी करने पर राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल का (Election Commission) दर्जा मिल जाता है।