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NAVPRADESH News Effect : नवप्रदेश की खबर का असर, 20 बरस बाद छुटी पांव की रस्सी, अब होगा महेश का इलाज, मां ने जताई खुशी, माना आभार

गरियाबंद/नवप्रदेश। गरियाबंद जिले में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले भुंजिया जनजाति का एक युवक को पिछले 20 सालों से रस्सी में बांध कर रखा गया था, मानसिक रूप से बीमार इस युवक के इलाज के लिए जिला प्रशासन ने इतने सालों में कोई कदम नहीं (NAVPRADESH News Effect) उठाया।

नवप्रदेश ने युवक की इस खबर को 4 मई के अपने अंक में ‘बीस वर्षों से रस्सी में बंधी जिंदगी : राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र भुंजिया परिवार की दयनीय दशाÓ शीर्षक से प्रमुखता से प्रकाशित करने के बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ है। सुबह अखबार में खबर पढ़ते ही स्वास्थ्य महकमे ने डॉक्टरों की विशेष टीम को सुखरीडबरी गांव भेजा और बीमार युवक को लेकर जिला अस्पताल आई, जहां उसे इलाज के लिए भर्ती कराया गया (NAVPRADESH News Effect) है।

जानकारी के मुताबिक, डॉक्टरों की विशेष टीम की निगरानी में मानसिक रूप से बीमार युवक महेश नेताम का इलाज किया जाएगा। विदित हो जिले के कोपेकसा पंचायत के आश्रित गांव सुखरीडबरी के महेश नेताम को पिछले बीस वर्षो से रस्सी में बांधकर रखा गया था। पिछले कई वर्षों से विशेष पिछड़ी अनुसूचित जनजाति के भुंजिया समुदाय के गरीब परिजन उसका समुचित इलाज कराने में असमर्थ थे।

दिमाग का नहीं हो पाया विकास : डॉक्टरों की विशेष टीम की निगरानी में मानसिक रूप से बीमार युवक महेश नेताम का इलाज किया जाएगा। चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर हरीश चौहान, डॉक्टर राजेंद्र बिनकर और महिला डॉक्टर बी बारा युवक का निरीक्षण कर रही हैं।

माना जा रहा था कि महेश मानसिक रूप से बीमार है। लेकिन, गुरूवार को जब उसे जिला अस्पताल लेकर आए। जहां महेश की प्रारंभिक जांच के बाद बताया कि वह मानसिक रोगी नहीं, बल्कि उसके दिमाग का पूरा विकास नही हो पाया है। डॉ राजेन्द्र बिनकर तथा बीएमओ डॉ बी बारा ने नवप्रदेश को बताया कि महेश का सिर सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा छोटा है जिसकी वजह से उसका मानसिक विकास ठीक ढंग से नहीं हो पाया।

इसके अलावा बचपन से उसे मिर्गी के झटके आते (NAVPRADESH News Effect) हैं। हमने अपनी खबर में महेश की मां अघनी बाई के स्वास्थ्य के संबंध में भी लिखा था। डॉ बिनकर ने अघनी बाई की भी जांच की और उसके उचित इलाज का भी आश्वसन दिया है।

मां ने जताई खुशी, माना आभार : मानसिक रूप से बीमार इस युवक के इलाज के लिए जिला प्रशासन ने इतने सालों में कोई कदम नहीं उठाया। जबकि पीडि़त मां ने इस दरमियान एक-दो नहीं, बल्कि सैकड़ों बार अपने बेटे की इलाज के लिए पंचायत से लेकर कलेक्टर दरबार का भी दरवाजा खटखटाया था।

इलाज के लिए 3 साल पहले 5 हजार रुपए की सहयाता राशि देकर अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली थी। अब नवप्रदेश ने लाचार मां की बेबसी और प्रशासन के रवैय्ये को लेकर उजागर किया तो जिला प्रशासन सक्रिय हुआ।

बेटे का इलाज शुरू होने पर पीडि़त व बेबस मां ने नवप्रदेश का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि अब उनके बेटे को दर्द से जल्द राहत मिलेगी। भावुक होते हुए कहा कि बेटे को अस्पताल लाकर अच्छा लग रहा है। अब उसे रस्सियों से नहीं बांधेंगे।

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