छत्तीसगढ़ के हजारों शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए हाई कोर्ट (Education Reform 2025) ने शिक्षा विभाग की उस विवादित नीति को रद्द कर दिया है, जिसमें तीन साल की परिवीक्षा अवधि के दौरान स्टाइफंड देने का प्रावधान था। कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2019 की विज्ञप्ति के आधार पर नियुक्त 14,580 शिक्षकों को ज्वाइनिंग तिथि से पूर्ण वेतन दिया जाएगा। यह फैसला उन शिक्षकों के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है, जो पिछले कई सालों से न्याय की लड़ाई लड़ रहे थे।
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2019 की भर्ती (Education Reform 2025) विज्ञप्ति के समय स्टाइफंड का कोई उल्लेख नहीं था, इसलिए वर्ष 2020 में जारी नई नीति को पुराने विज्ञापन पर लागू करना कानूनी रूप से गलत है। कोर्ट ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियम बदलकर उम्मीदवारों के अधिकारों को प्रभावित नहीं किया जा सकता। यह फैसला शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है ।
गौरतलब है कि 9 मार्च 2019 को सहायक शिक्षक, शिक्षक, सहायक शिक्षक (विज्ञान) और लेक्चरर के 14,580 पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ था। 14 जुलाई 2019 से 25 अगस्त 2019 तक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। इस भर्ती में बेरोजगार युवाओं के साथ-साथ अन्य विभागों में कार्यरत कर्मचारी भी शामिल हुए थे।
लेकिन ज्वाइनिंग के समय, जुलाई 2020 में शिक्षा विभाग ने नया सर्कुलर जारी कर दिया, जिसके अनुसार पहले वर्ष 70%, दूसरे वर्ष 80% और तीसरे वर्ष 90% वेतन ही देने का प्रावधान किया गया था। इस नीति को शिक्षकों ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि यह नियम भर्ती विज्ञापन का हिस्सा नहीं था, इसलिए इसे लागू करना अवैधानिक है।
हाई कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि नियुक्ति हेतु जारी मूल विज्ञापन ही मान्य होगा और बाद में बदले गए नियम इस भर्ती पर लागू नहीं होंगे। कोर्ट के आदेश से हजारों शिक्षकों को आर्थिक राहत मिलेगी, जिन्हें अब अपनी ज्वाइनिंग तिथि से समग्र वेतन मिलेगा।
शिक्षक संगठनों ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और इसे शिक्षा व्यवस्था में समान अवसर सुनिश्चित करने वाला ऐतिहासिक निर्णय बताया है। अब शिक्षा विभाग को इस आदेश का पालन करते हुए सभी शिक्षकों को संशोधित वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।

