चंदू साहू ने धान के दानों से तैयार की भगवान जगन्नाथ की मूर्ति, अनेक तरह की कलात्मक चीजें देख स्टाल में लोग होते हैं आकर्षित
सुप्रीत शर्मा
बालोद/नवप्रदेश। Balod Borai Musician Artist Chandu Chandraprakash Sahu Art of Paddy: ग्राम बोरई (नगपुरा) के रहने वाले चंदू उर्फ चंद्रप्रकाश साहू इन दिनों पूरे छत्तीसगढ़ में धान से बेहतर कलाकारी के नाम से जाने जाते हैं। उनकी कला देखकर लोग सराहना करने से नहीं चुकते। उनके बनाए सजावटी सामान लोगों को बरबस अपनी ओर खींचता है।
बालोद, दुर्ग, राजनांदगांव, खैरागढ़ सहित अनेक जगहों पर उनके धान की कलाकारी से संबंधित चीजों के स्टॉल लगातार लगाए जा रहे हैं। बालोद आगमन पर चंद्रप्रकाश से खास बातचीत में बताया कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहते हैं। इसलिए उन्होंने अपने हुनर को धान में तराशा और देखते ही देखते स्वयं से ही धान से अनेक तरह की कलाकृति बनाना सीख गया। वर्तमान में रथ दूज पर उन्होंनेभगवान जगन्नाथ की छोटी सी आकर्षक धान की मूर्ति बनाई है, जो लोगों को प्रभावित कर रही है।
इस झांकी में भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र और सुभद्रा भी नजर आ रहे हैं। (Balod Borai Musician Artist Chandu Chandraprakash Sahu Art of Paddy) इसके पहले भी वे समय-समय पर नवरात्रि में मां दुर्गा के धान की झांकी तो अनेक अवसरों पर आकर्षक चीज तैयार करते हैं। लोगों द्वारा ऑर्डर पर भी धान की चीजें बनवाते हैं। जैसे माता रानी का श्रृंगार, झालर, चिडिय़ों के लिए झालर, गले की ज्वेलरी, बाली, राखी, बैच, सजावट व शोपीस धान से ही आकर्षक तरीके से तैयार करते हैं।
शिक्षा लोक संगीत की, पर धान से कलाकारी
चंद्रप्रकाश कहते हैं कि उन्होंने लोक संगीत की पढ़ाई की है। खैरागढ़ से उन्होंने शिक्षा और डिग्री ली है। धान की कलाकारी का ख्याल उन्हें स्वयं ही आया। स्वयं से ही सीखते हुए इस दिशा में मेहनत की और आज अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। विशेष अवसरों पर वे संबंधित स्टॉल लगाकर लोगों को आकर्षित करते हैं। धीरे-धीरे चीजों की मांग बढ़ रही है। अनेक अवसरों, आयोजनों पर भी अपना स्टॉल लगाकर छत्तीसगढ़ के धान से परिचित कराते हैं।
कई राज्यों में पेश कर चुके हैं अपनी कला
इस तरह चंद्रप्रकाश साहू छत्तीसगढ़ के साथ दूसरे राज्यों में भी जाने पहचाने जा रहे हैं। (Balod Borai Musician Artist Chandu Chandraprakash Sahu Art of Paddy) वह अपने लोक संगीत के आयोजन के साथ ही धान की कलाकारी के स्टॉल के जरिए अनेक राज्यों तक भी पहुंच चुके हैं। अपने लोक संगीत के आयोजनों के तहत वे जहां भी दूसरे राज्य जाते हैं वहां अपने धान से बनी चीजों का स्टॉल भी लगाते हैं। कर्नाटक, बेंगलुरु, पंजाब सहित कई राज्यों में व अपनी कलाकारी का प्रदर्शन कर चुके हैं।