नई दिल्ली/नवप्रदेश। ED Raids Rupee : पश्चिम बंगाल के स्कूल सेवा आयोग भर्ती घोटाले सहित विभिन्न घोटालों में जब्त करोड़ों की नकदी का आखिर ईडी करता क्या है? फिर चाहे वह झारखंड में अवैध खनन से मिले 36 करोड़ से भी ज्यादा कैश का मामला हो या IAS अधिकारी पूजा सिंघल के सीए के घर से मिले 17 करोड़ कैश का मामला हो, इन जब्तियों में नोटों का अंबार आखिर कहां जमा होते हैं? और उन पैसों का इस्तेमाल कैसे होता है? यह सवाल अमूमन सभी के मन में आता है।
ED में 36 साल तक सेवा दे चुके विभाग के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सत्येंद्र सिंह ने एक इंटरव्यू में विस्तार से बताया कि यह पैसा किस प्रक्रिया के तहत किसके पास जाता है। इसके पहले आपको बता दें कि सत्येंद्र सिंह साल 2019 में डिप्टी डायरेक्टर के पद से रिटायर हुए।
सरकार के पास कैसे आएगा पैसा?
सत्येंद्र सिंह ने बताया कि कैश की जब्ती (ED Raids Rupee) के बाद ED इसे अपने ऑफिस में रखती है। इसके बाद पूरे पैसे को ED के बैंक अकाउंट में जमा करा दिया जाता है। सिंह ने बताया, इसके तुरंत बाद इन पैसों को फिक्सडिपॉजिट में बदला जाता है। इसके पहले जब्ती की पूरी जानकारी दी जाती है, ताकि आगे पता रहे कि किसका कितना पैसा था और किस रूप में जमा हुआ था।
सत्येंद्र सिंह के मुताबिक, जब कोर्ट में कोई व्यक्ति दोषी साबित हो जाता है तो ED उन पैसों को भारत सरकार के अकाउंट में ट्रांसफर कर देती है और फिर वो भारत सरकार का पैसा हो जाता है। सरकार अपने हिसाब से उन पैसों को खर्च करती है।चाहे वो विकास कार्यों में खर्च हों या सैलरी देने में।
इसके अलावा पीड़ित पार्टी के पास भी पैसे जाते हैं। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने देश के सरकारी बैंकों को 22 हजार करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया। ये सभी विदेश भाग गए। ED ने मामले की जांच शुरू की और इन सभी की संपत्तियों को जब्त करना शुरू किया। ED की वेबसाइट के मुताबिक, अब तक इन सभी की 19 हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अटैच की गई है। इनमें से 15 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति बैंकों के हवाले की जा चुकी है, जहां से इन तीनों भगोड़ों ने फ्रॉड किया।
अगर दोष साबित नहीं हुआ तो?
तो जिस व्यक्ति के पास से कैश बरामद किया गया होगा उसे जांच एजेंसी वापस लौटाएगी। फरवरी 2020 में दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसा ही एक आदेश दिया था। साल 1995 में ED ने एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक से विदेशी लेनदेन कानून के उल्लंघन के आरोप में 7.95 लाख रुपये जब्त किए थे। बाद में उस पर दोष साबित नहीं हुआ। दिल्ली हाई कोर्ट ने ED को निर्देश दिया था कि उस व्यक्ति को 6 फीसदी ब्याज के साथ (करीब 20 लाख रुपये) पैसे लौटाए जाएं।
अचल संपत्ति का क्या किया जाता है?
कई बार ED मकानों, ऑफिस बिल्डिंग और अलग-अलग तरह की संपत्तियों को भी जब्त करती है। सत्येंद्र सिंह बताते हैं, अगर किसी मकान को अटैच करना हो तो पहले उसे खाली कराने का नोटिस दिया जाता है। इस नोटिस की टाइमिंग अलग-अलग होती है। जब ये डेट खत्म होती है तो ED उस पर ताला लगाकर अपने अधिकार में ले लेती है। अगर कोई फैक्ट्री अटैच होती है तो केस चलने के दौरान उससे मिलने वाला प्रॉफिट ED के पास जाता है।
पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि संपत्ति जब्ती के बाद मामला दिल्ली में एडजुकेटिंग अथॉरिटी के पास चला जाता है। मामले से जुड़े अलग-अलग पार्टीज को भी नोटिस भेजा जाता है ताकि वो डिफेंड कर सकें। एडजुकेटिंग अथॉरिटी के पास 180 दिनों का समय होता है कि वो अटैचमेंट को कंफर्म करें। कंफर्म करते ही ED उस एफडी अमाउंट को अपने अधिकार में ले लेती है। ये पैसे हमेशा कैश में नहीं रखे जाते हैं।
वहीं इंडिया टुडे से जुड़े चिराग गोठी बताते हैं कि अगर आरोपी बरामद हुए पैसों की सही जानकारी देते हैं, तो उनमें से ‘सही स्रोत से आए पैसों या दूसरी संपत्तियों’ को एजेंसी लौटाती भी है। ये अलग-अलग केस पर निर्भर करता है। बेनामी संपत्तियों को जब्त किए जाने के बाद संबंधित विभाग उसकी सेल करती है। इससे जो आय आती है वो वित्त मंत्रालय को दे दिया जाता है। ये सब तब होता है जब कोर्ट का अंतिम फैसला आ जाता है।
1 लाख करोड़ से ज्यादा संपत्ति जब्त कर चुकी है ED
ED कुल 4 कानूनों के तहत किसी मामले में कार्रवाई करती है। ज्यादातर समय हम दो कानूनों की चर्चा सुनते हैं- प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA) और फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट, 1999 (FEMA)। दो और कानून हैं जिनके तहत ED आर्थिक अपराध के मामलों में संपत्ति जब्ती और कार्रवाई करती है। ये कानून हैं- फ्यूजिटिव इकनॉमिक ऑफेंडर्स एक्ट, 2018 (FEOA) और कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रीवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटीज एक्ट, 1974 (COFEPOSA)।
PMLA के तहत, ED अब तक 1 लाख करोड़ रुपये (ED Raids Rupee) से ज्यादा की संपत्ति जब्त कर चुकी है। ये आंकड़ा 31 मार्च 2022 तक का है। बुधवार 27 जुलाई को ही सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत ED द्वारा छापेमारी, पूछताछ और गिरफ्तारी के अधिकार को वैध करार दिया था। ED की वेबसाइट बताती है कि PMLA के तहत 17 सालों में 5422 केस दर्ज किए गए। अब तक इन मामलों में सिर्फ 25 लोग दोषी साबित हुए हैं।