ED Action : जब से सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की कार्रवाई को वाजिब ठहराया है और ईडी पर अंकुश लगाने संबंधी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। तब से ईडी एक्शन में आ चुकी है। ईडी की बढ़ती सक्रियता से विपक्षी नेताओं के होश उड़े हुए है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर ईडी की कार्रवाई और तेज हो गई है। पहले राहुल गांधी और उसके बाद सोनिया गांधी से पूछताछ करने के बाद अब ईडी ने नेशनल हेराल्ड के कई दफ्तरों में दबिश दी है। ईडी की इस कार्रवाई का कांग्रेसियों ने विरोध भी किया है। लेकिन ईडी अपने काम पर लगी हुई है।
कांग्रेस पार्टी के नेता लगातार ईडी पर (ED Action) निशाना साध रहे हैं और भाजपा सरकार पर केन्द्रीय एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप लगा रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर संसद के भीतर और बाहर भी विरोध प्रदर्शन हुआ है। लेकिन इससे ईडी की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा है। अब जबकि महाराष्ट्र में भी ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सबसे विश्वस्त सहयोगी राज्यसभा सदस्य व पार्टी प्रवक्ता संजय राऊत के गिरेहबान में हाथ डाला है तो महाराष्ट्र में भी हड़कंप मच गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी ईडी की इस कार्रवाई को बदले की कार्रवाई निरूपित किया है। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र के और भी कई नेता ईडी के निशाने पर है। जिसमें शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कई नेता शामिल है। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के मंत्री मंडल में शामिल रहे राकापा नेता नवाब मलिक और अनिल देशमुख ईडी की कार्रवाई के चलते ही जेल पहुंच चूके है और अब संजय राऊत भी जेल की हवा खा रहे हैं। शिवसेना और राकापा के कई नेताओं के खिलाफ भी ईडी की कार्रवाई चल रही है और उनके भी जेल जाने की संभावना जताई जा रही है।
बंगाल में भी ईडी ने अपनी कर्रावाई तेज कर दी है जिसके चलते ममता बनर्जी सरकार में नंबर दो कहे जाने वाले मंत्री पार्थ चटर्जी जेल पहुंच गए है। वहां के कुछ मंत्रियों के खिलाफ भी ईडी की कार्रवाई हो सकती है। क्योंकि पार्थ चटर्जी ने खुद ही यह खुलासा किया है कि उन्हें षंड्यंत्र पूर्वक हटाया गया है। उनके मंत्रीमंडल के अन्य सहयोगी भी भ्रष्टाचार करते रहे हैं। इसके बाद बंगाल के कुछ और मंत्री भी निशाने पर आ सकते हैं।
ईडी की इस कार्रवाई से बौखलाई हुई बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद को दूध का धुला दिखाने की नाकाम कोशिश कर रही है और वे अब अपने मंत्रीमंडल का ही पूर्नगठन करने का ही मानसिकता बना चुकी है ताकि कोई अन्य मंत्री ईडी के शिकंजे में फंसता है तो वे यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से बरी हो सके कि उन्होंने तो पहले ही उस मंत्री को मंत्री पद से हटाकर उसके खिलाफ कार्रवाई कर दी है। बिहार में भी लालू परिवार सीबीआई और ईडी के निशाने पर आ चुका है।
दिल्ली में भी केजरीवाल सरकार (ED Action) के एक मंत्री सत्येंन्द्र जैन जेल की हवा खा रहे हैं और अब उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी ईडी जांच करने जा रही है। कुल मिलाकर विपक्षी पार्टियों के कई नेता ईडी के रडार पर आ चुके है जिसकी वजह से पूरे विपक्ष में हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई है और अब ये सभी मिलकर केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की कवायद कर रहे है। देखना दिलचस्प होगा कि इनकी यह कवायद क्या रंग लाती है?