eczema: एक्जीमा इस रोग में त्वचा पर अपने आप ही फफोले से निकल आते हैं। आयुर्वेद में इसे विचर्चिका कहते हैं। एक्जीमा मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है सूखा और गीला।
सूखे एक्जीमा में किसी प्रकार का रिसाव नहीं होता, जबकि गीले प्रकार के एक्जीमा में चकोता या फफोलों से पानी जैसा द्रव निकलता है। यह दव खुजलाने पर अथवा बिना खुजलाए भी निकलता है।
एक्जीमा का उपचार
– कीकर (बबूल) और आम के पेड़ की 25-25 ग्राम छाल लेकर एक लीटर पानी मे उबालें। इसकी भाप से एक्जीमा (eczema) प्रभावित स्थान को सेंके। इसके बाद इस भाग पर देसी घी चुपड़ मकोय का रस पीने और एक्जीमा के स्थान पर इस रस को लगाने से आराम मिलता है।
रस की मात्रा 150 से 210 मि.ली, तक रखें। सुबानी के पत्ते के रस का दाद-खाज पर प्रयोग करना भी लाभदायक है। छाछ में एक कपड़े का टुकड़ा भिगोकर त्वचा पर जलन, खुजली और बेचैनी वाले स्थान पर रखें। जितनी अधिक देर तक रख सकें फिर उस स्थान को भली-भांति साफ कर दें।
चने के आटे में पानी मिलाकर पेस्ट-सा बनाकर त्वचा के विकारग्रस्त स्थान पर लगाने से लाभ होता है। चने के आटे का उबटन के रूप में प्रयोग से मेकअप से होने वाला एक्जीमा भी ठीक हो जाता है।
तुलसी के पत्तों का रस पीने और लगाते रहने से लाभ होता है। (eczema) एक्जीमा, दाद, लाइनोलिक एसिड की कमी से होता है। इसके लिए सूरजमुखी का तेल लाभदायक होता है। प्रतिदिन दो चम्मच तेल पीयें। रोग में सुधार होने के बाद मात्रा में कमी कर दें।
नीम रक्त विकारों में बहुत ही लाभकारी है। पावभर सरसों के तेल में नीम की 50 ग्राम के लगभग कोपलें, पकायें, कोपलें काली होते ही तेल नीचे उतार लें। छानकर बोतल में रखें और दिन में थोड़ा-थोड़ा एक्जीमा (eczema) के प्रभावित स्थान पर चुपड़ें। नीम की कोपलों का रस 10 ग्राम की मात्रा में नित्य सेवन करते रहने से भी एक्जीमा ठीक हो जाता है।
– तिल और तारे मीरे के तेल की मात्रा में दो चम्मच पिसी हुई मूंग दाल मिलायें, जिससे मरहम-सा बन जाये, उसमे दवाइयों के काम आने वाला मोम एक चम्मच के लगभग मिला दें। इसमें सरसों के तेल के दीपक से बनाया गया थोड़ा काजल मिलायें। मरहम तैयार है।
- इसे दाद, फोड़े, फुन्सियों पर लगाने से लाभ होता है।
- चार ग्राम चिरायता और चार ग्राम कुटकी लेकर शीशे या चीनी के पात्र में 125 ग्राम पानी डालकर रात को उसमें भिगो दें और ऊपर से ढक दें।
- प्रातः काल रात को भिगोया हुआ चिरायता और कुटकी का पानी निथारकर कपड़े से छानकर पी लें और उसी समय अगले दिन के लिए उसी पात्र में 125 ग्राम पानी और डाल दें।
इस प्रकार चार दिन तक वही चिरायता और कुटकी काम देंगे। तत्पश्चात् उनको फेंककर नया चार ग्राम चिरायता और कुटकी डालकर भिगोयें और चार-चार दिन के बाद बदलते रहें। यह पानी (कड़वी चाय) लगातार दो-चार सप्ताह पीने से एक्जीमा, फोड़े-फुन्सी आदि चर्मरोग नष्ट होते हैं। मुहांसे निकलना बन्द होते हैं और रक्त साफ होता है।
एक्जीमा (eczema) में इस कड़वे पानी पीने के अलावा इस पानी सेएक्जीमा वाले स्थान को धोया जाये। इस प्रयोग से एक्जीमा और रक्तदोष के अतिरिक्त हड्डी की टी.बी. पेट के रोग, अपरस और कैंसर आदि बहुत-सी बीमारियां दूर होती हैं।
इस रोग में कड़वी चीजें जैसे करेला कड़वी फलियां और नीम के फूल आदि बहुत लाभदायक पदार्थ हैं। हल्दी भी इस रोग के रोगी को बहुत लाभ पहुंचाती है। इस रोगी को नमक का सेवन कम कर देना चाहिए।
Note: यह उपाय इंटरनेट के माध्यम से संकलित हैं कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करके ही उपाय करें ।