- रायपुर रेल मंडल के दुर्ग स्टेशन में नहीं मिला प्राथमिक उपचार
- विधवा मां की गोद में तड़पता रहा जवान बेटा, फिर हो गई मौत
रायपुर/नवप्रदेश। सुविधाओं का दम भरने वाले रायपुल रेल मंडल के दुर्ग रेलवे स्टेशन (durg railway station) पर एक विधवा मां (mother) को बेटे (son) की जान बचाने के लिए दवा, इलाज की सुविधा नहीं सिर्फ सलाह मिली।
नतीजा ये हुआ कि उसके जवान बेटे (son) ने एंबुलेंस के अभाव में दम तोड़ (dies) दिया। ये बेटा (son) ही अपनी विधवा मां (mother) का एकलौता सहारा था। जब तक 108 की मदद पहुंचती वह दम तोड़ (dies) चुका था। मामला बुधवार का है जब दिल्ली से रायगढ़ के बीच चलने वाली गोंडवाना एक्सप्रेस दुर्ग पहुंची।
ट्रेन के स्लीपर क्लास एस-10 में रायगढ़ निवासी सविता शर्मा अपने जवान बेटे निमित शर्मा (17)के साथ सफर कर रही थी। बताते हैं कि बेटे निमित की तबियत अचानक बिगड़ गई। उसकी हालत दिल्ली, आगरा के बीच ही बिगड़ी थी।
लेकिन शर्मनाक यह कि रेल यात्रियों के लिए चिकित्सा सुविधा में अब भी रेल मंडल अपडेटेड नहीं हुआ है। दुर्ग (durg railway station) और रायपुर में स्टेशन में मेडिकल स्टोर्स है।
लेकिन चिकित्सकों या एक्सपर्ट की कोई तैनाती नहीं है। निमित के लिए दुर्ग में पहले ही रेलवे तैयारियां कर सकता था। परंतु कहीं न कहीं जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश में चूक हुई जो जानलेवा बनी।
आगरा के रेलवे डॉक्टर ने दी थी सलाह
चौंकाने वाली बात यह कि आगरा में रेलवे के डॉक्टर ने निमित की मां को सलाह दी थी कि उनका बेटे के साथ सफर करना ठीक नहीं है। जब ट्रेन में निमित की तबियत नहीं सुधरी तो यात्रियों ने टीटीई को बुलाया। टीटीई ने उन्हें दुर्ग स्टेशन (durg railway station) में उतरकर भर्ती करने की सलाह दी पर सुविधा कहीं भी नहीं मिली।
सुलगते सवाल
- रेलवे डॉक्टर की दवा के बाद भी निमित की हालत नहीं सुधरी
- आगरा से दुर्ग तक सिर्फ सलाह मिली टीटीई ने सूचना क्यों नहीं दी
- दुर्ग में बीमार यात्री के लिए पहले ही एंबुलेंस-डॉक्टर क्यों नहीं मौजूद थे
- करीब 1100 किमी.की यात्रा में कहीं भी शूगर कंट्रोल क्यों नहीं किया जा सका
- क्या एकमात्र विकल्प यही था कि मां और बेटे को ट्रेन से उतार दिया जाए
- क्या रेल यात्री की ऐसी स्थिति में मदद करने की बजाय सिर्फ रेलवे सलाह देता है
जानकारी के मुताबिक शूगर लेवल हाई था और आगरा में रेलवे डॉक्टर ने उसे दवा भी दी थी। महिला यात्री को सलाह दी गई थी कि वे पहले बेटे को अस्पताल में भर्ती करवा दें। लेकिन उन्होंने पहचान नहीं होने का हवाला देते हुए रायपुर में उतरने की बात कही थी। दुर्ग स्टेशन में एंबुलेंस को कॉल किया गया था। डेथ होने के बाद जीआरपी ने शव को मरचुरी भेजने में मदद की।
-तनमय मुखोपाध्याय, सीडीसीएम, रायपुर रेल मंडल