दुर्ग/नवप्रदेश। भाजपा के वरिष्ठ नेता एक ओर जहां विधानसभा चुनाव की जोर-शोर (Dr. Tamer) से तैयारियां में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर दुर्ग जिला भाजपा संगठन में शून्यता के हालात है।
यहां जिला भाजपा के अध्यक्ष पिछले करीब ९ महीनों से लापता हैं। स्थानीय कार्यकर्ताओं ने प्रदेश नेतृत्व से कुछ महीनों पहले नए अध्यक्ष (Dr. Tamer) की मांग की थी, लेकिन वरिष्ठ नेताओं के लगातार दुर्ग दौरों के बाद भी दुर्ग में नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति की आवश्यकता महसूस नहीं की गई।
जबकि चुनाव को लेकर रोजाना समीक्षाएं करने व रणनीति बनाने जैसे कार्य हो रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि बिना कप्तान के दुर्ग में भाजपा की नैय्या (Dr. Tamer) कैसे पार लगेगी?
प्रदेश की सत्ता से विदाई के बाद भाजपा संक्रमण के बेहद खराब दौर से गुजर रही है। जिले में पार्टी के सीनियर नेताओं की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है।
इस पर संगठन का पूरी तरह से कबाड़ा होना भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता। फिलहाल कुछ चेहरे जरूर हैं जो अपने स्तर पर थोड़ी-बहुत सांगठनिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, किन्तु ऐसे लोगों से बहुत ज्यादा उम्मीद रखना भी बेमानी होगा। वैसे भी, उनकी सक्रियता संगठन को लेकर कम और अगले विधानसभा चुनाव को लेकर ज्यादा है।
जाहिर है कि दुर्ग जिला संगठन को अनुभवी नेतृत्वकत्र्ता की दरकार है। दुर्ग विधानसभा और नगर निगम में कांग्रेस की सत्ता है, ऐसे में बेहतर और आक्रामक विपक्ष के रूप में एक मजबूत व दमदार अध्यक्ष बेहद जरूरी है, जो पार्टी के तमाम धड़ों को एकजुट रखते हुए चुनाव तैयारियों को आगे बढ़ाए।
पार्टी से जुड़े लोग भी वर्तमान जिलाध्यक्ष डॉ. एसके तमेर को अराजनैतिक व्यक्ति बताते हैं। उनमें संगठन संबंधी अनुभव का भी सर्वथा अभाव है।
वरिष्ठ नेत्री व राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय की पहल पर डॉ. तमेर को जिलाध्यक्ष बनाया गया था। जबकि यह वह वक्त था, जब दुर्ग में पहले विधानसभा और उसके बाद नगर निगम के चुनाव में पार्टी को बुरी पराजय का सामना करना पड़ा था।
बताया जाता है कि करीब डेढ़ महीना पहले प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय ने नए अध्यक्ष की नियुक्ति की बात कही थी। साय का कहना था कि पार्टी फिलहाल खैरागढ़ उपचुनाव में व्यस्त हैं।
उपचुनाव निपटने के बाद नए अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जाएगी। अब खैरागढ़ उपचुनाव को खत्म हुए भी सवा महीना हो गया, लेकिन पार्टी संगठन अब भी दुर्ग जिला संगठन में नए कप्तान की नियुक्ति करने में नाकाम है। पार्टी के लोगों का कहना है कि डॉ. तमेर ज्यादातर अमेरिका में ही रहते हैं। जब वे संगठन को वक्त ही नहीं दे पा रहे हैं तो उन्हें इस जिम्मेदारी से विमुख कर देना चाहिए। पार्टीजनों के मुताबिक, वैसे भी डॉ. तमेर जिलाध्यक्ष पद पर बने रहने के प्रति अनिच्छा जाहिर कर चुके हैं।
जमीनी छत्तीसगढिय़ा पर दारोमदार
दुर्ग की राजनीति पर फोकस करें तो न केवल शहर अपितु पूरा जिला पिछड़ा वर्ग बाहूल्य है। ऐसे में पार्टी को पिछड़ा वर्ग से जुड़े किसी जमीनी कार्यकर्ता की दरकार है, जो संगठन का बेहतर तरीके से संचालन कर पाए।
वर्तमान में दुर्ग शहर में विधायक व महापौर दोनों अगड़ा वर्ग से हैं। जबकि दुर्ग की राजनीति का प्रमुख आधार स्तम्भ ही पिछड़ा वर्ग है। वर्तमान अध्यक्ष डॉ. एसके तमेर स्वयं पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं,
किन्तु वे पेशे से चिकित्सक हैं और उच्च व धनाढ्य वर्ग से होने के कारण आम कार्यकर्ताओं से तादात्मय स्थापित करने में कामयाब नहीं हो पाए। ऐसे में जरूरी है कि पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच में से किसी अनुभवी को संगठन की कमान सौंपे। महत्वपूर्ण यह भी है कि इस दौरान गुट विशेष को अलग रखा जाए।
संकट अस्तित्व का, नेता अब भी मुगालते में
हालात यह है कि जिला भाजपा संगठन पर अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। बावजूद इसके स्थानीय संगठन के विभिन्न पदों पर बैठे लोग अब भी मुगालते में जी रहे हैं।
बुधवार को भिलाई में भाजपा की हुई महत्वपूर्ण बैठक में प्रचार-तंत्र को मजबूत करने पर जोर दिया गया, जबकि दुर्ग संगठन में भाजपा का प्रचार तंत्र ही बेहद कमजोर है। संगठन पर अयोग्य लोग थोपे जाएंगे तो नुकसान सीधे तौर पर पार्टी को ही होगा।
आखिर इस बात पर सवाल क्यों नहीं उठाया जाना चाहिए कि संगठन में जिन लोगों ने नियुक्तियां करवाई हैं, उनसे शीर्षस्थ नेता जवाब तलब करें। इस पर मजे की बात तो यह है कि नेता अपने समाचार अखबारों में छपवाना तो चाहते हैं, लेकिन अखबारनवीसों से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं।