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DPS Dwarka Fee Controversy : फीस नहीं तो स्कूल नहीं…DPS स्कूल की जिद ने तोड़ा कानून…32 बच्चों को बाउंसरों से भगाया…

नई दिल्ली, 16 मई| DPS Dwarka Fee Controversy :  राजधानी के DPS द्वारका स्कूल ने एक बार फिर से शिक्षा के अधिकार और न्यायिक आदेशों को नजरअंदाज करते हुए 32 बच्चों को स्कूल से बाहर कर दिया। दिल्ली शिक्षा निदेशालय के स्पष्ट निर्देश के बावजूद न सिर्फ बच्चों को कक्षाओं में प्रवेश से रोका गया, बल्कि गेट पर तैनात बाउंसरों ने उन्हें जबरन भगाया, जिनमें लड़कियां भी शामिल थीं।

शिक्षा से नहीं, फीस से मापा गया बच्चा

शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट आदेश दिए थे कि कोई भी बच्चा फीस बकाया के चलते पढ़ाई से वंचित नहीं किया जाएगा, लेकिन DPS द्वारका ने आदेश को ठेंगा दिखाते हुए इन 32 छात्रों का नाम काट (DPS Dwarka Fee Controversy)दिया। इससे पहले भी 9 मई को इसी स्कूल ने 29 छात्रों को निष्कासित किया था।

स्कूल गेट बना सुरक्षा किला – इंसानियत नदारद

बच्चों को रोकने के लिए स्कूल प्रशासन ने निजी बाउंसर तैनात किए हैं। अभिभावकों का आरोप है कि इन पुरुष बाउंसरों ने लड़कियों को हाथ लगाकर रोका, जिससे महिला सुरक्षा और स्कूलों में संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

अब हाईकोर्ट में सुनवाई, अदालत की अवमानना का मामला दर्ज

न्याय के लिए अभिभावकों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है, जहां आज अवमानना याचिका पर सुनवाई होनी है। पैरेंट्स का कहना है कि स्कूल प्रशासन कानून से ऊपर बनने की कोशिश कर रहा है।

नेताओं की नजर भी टिकी

इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। आप नेता आतिशी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है और स्कूल की नीति को ‘अमानवीय’ बताया (DPS Dwarka Fee Controversy)है। अभिभावक लगातार स्कूल के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं।

बड़ा सवाल: क्या शिक्षा अब सिर्फ पैसे वालों का हक़ है?

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि निजी स्कूलों की मनमानी पर सख्त नियंत्रण की ज़रूरत है। स्कूलों को शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि प्रॉफिट सेंटर बना दिया गया (DPS Dwarka Fee Controversy)है। ‘बिना फीस, बिना पढ़ाई’ का ये रवैया देश की शिक्षा प्रणाली पर धब्बा है।

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