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सिलगेर कांड फिर से सुलगा, आदिवासी समाज का वृहद् प्रदर्शन

Display: Silgaar scandal again smoldering, massive display of tribal society

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बालोद के मानपुर में आदिवासी समाज के प्रदर्शनकारी रेलवे ट्रैक पर बैठे

रायपुर/नवप्रदेश। Silger Scandal : राज्य सरकार पर वादे के उल्लंघन का आरोप लगाकर एक बार फिर सर्व आदिवासी समाज सिलगेर की घटना को सुलगा रहे हैं। आदिवासी समाज सिलगर गोली मामले में न्याय, पेसा कानून और पदोन्नति में आरक्षण जैसी कई मांगों को लेकर सोमवार को आंदोलन करने सड़क पर उतरे। हालांकि, इस दौरान वे प्रदेश की आर्थिक नाकेबंदी की कोशिश करते भी दिखे। प्रदर्शनकारियों ने कई जिलों में मुख्य राजमार्गों पर चक्काजाम किया है। वहीं बालोद जिले के मानपुर में आदिवासी समाज रेलवे ट्रैक पर बैठ गया है।

प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर ही लगाया पांडाल

सर्व आदिवासी समाज का प्रदर्शन सुबह 11 बजे के बाद शुरू हुआ। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, प्रदर्शनकारियों (Silger Scandal) की संख्या बढ़ती गई। रायपुर के आरंग में प्रदर्शन हो रहा है। बलौदा बाजार, बालोद, बिलासपुर, रायगढ़, गरियाबंद, धमतरी, राजनांदगांव, दल्ली राजहरा, कांकेर, नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सरगुजा जैसे जिलों में भी प्रदर्शन की खबर है। कई जिलों में प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर ही पांडाल लगा दिया है। कुछ चौराहों पर प्रदर्शनकारियों का भारी जमावड़ा है। इसकी वजह से यात्री बसें भी प्रभावित हैं। प्रशासन ने भारी पुलिस बल तैनात किया है। रेलवे ट्रैक खाली कराने की कोशिश शुरू हो चुकी है।

रायगढ़ में प्रदर्शन के दौरान लगा लंबा जाम

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बीएस रावटे ने बताया, इस आंदोलन में सड़कों और रेलवे ट्रैक पर केवल माल वाहक वाहनों और रेलगाडिय़ों को रोका जा रहा है। अति आवश्यक सेवाओं और यात्री सेवाओं को रोकने की कोशिश नहीं हो रही है। रावटे ने कहा, जब तक मांग पूरा नहीं होगी तब तक आर्थिक नाकेबंदी आंदोलन जारी रहेगा। भविष्य में, राजधानी में स्थायी कैंप लगाकर धरना प्रदर्शन और समय-समय पर शहर के चौक-चौराहों पर भी अधिकार प्राप्त करने के लिए संघर्ष जारी रखा जा सकता है।

सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप

सर्व आदिवासी समाज (Silger Scandal) ने राज्य सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है। कार्यकारी अध्यक्ष बीएस रावटे का कहना है, सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों का विस्तार (पेसा) कानून लागू करने का वादा किया था। अब तक पूरा नहीं किया गया है। सिलगेर गोली कांड के पीडि़तों को न्याय नहीं मिला। पदोन्नति में आरक्षण नहीं मिल रहा है, जबकि सामान्य वर्गों की पदोन्नति जारी है। फर्जी जाति प्रमाण पत्रों पर नौकरी कर रहे लोगों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। अगर सरकार वादा करने के बाद ऐसा नहीं करती तो हमारे पास आंदोलन का ही रास्ता बचा है। बीएस रावटे ने कहा, हमने 19 जुलाई से विकास खंडों से आंदोलन शुरू किया। सरकार बातचीत करने तक नहीं आई। अब यह आंदोलन और तेज होगा।

क्या हुआ था सिलगेर में

नक्सलियों के खिलाफ अभियान में जुटे सुरक्षा बल बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में एक कैम्प बना रहे हैं। स्थानीय ग्रामीण इस कैम्प का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सुरक्षा बलों ने कैम्प के नाम पर उनके खेतों पर जबरन कब्जा कर लिया है। ऐसे ही एक प्रदर्शन के दौरान 17 मई को सुरक्षा बलों ने गोली चला दी। इसमें तीन ग्रामीणों की मौत हो गई। भगदड़ में घायल एक गर्भवती महिला की कुछ दिन बाद मौत हुई है। पुलिस का कहना था, ग्रामीणों की आंड़ में नक्सलियों ने कैम्प पर हमला किया था। जिसकी वजह से यह घटना हुई। लंबे गतिरोध और चर्चाओं के बाद 10 जून को ग्रामीण आंदोलन स्थगित कर सिलगेर से वापस लौटे हैं।

समाज के दूसरे धड़े ने बनाई दूरी

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के दूसरे धड़े ने आर्थिक नाकेबंदी (Silger Scandal) से दूरी बना ली है। रविवार को हुई इस गुट की कार्यकारिणी में प्रांतीय अध्यक्ष भारत सिंह ने आर्थिक नाकेबंदी करने का खंडन किया। उन्होंने कहा, सर्व आदिवासी समाज ने आर्थिक नाकेबंदी करने का कोई निर्णय नहीं लिया है। कुछ राजनीतिक महत्वाकांक्षी लोग जो अवैधानिक तरीके से अपने आप को सर्व आदिवासी समाज के स्वयंभू अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष, सचिव घोषित कर लिए हैं, वही लोग समाज को गुमराह कर रहे हैं। ये वे लोग हैं जिन्हें समाज के खर्चे औऱ समाज के आड़ में 2023 का चुनाव लडऩा है। ये सभी लोग किसी न किसी राजनीतिक दलों से जुड़े भी हैं, लेकिन जब पद में थे तब कुछ नहीं किए।

ये है मांग

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