किशन भावनानी। Digitization : वर्ष 1976 में आई फिल्म सबसे बड़ा रुपैया का मज़रूह सुल्तानपुरी द्वारा लिखा और महमूद द्वारा गाया गीत, ना बीवी ना बच्चा ना बाप बड़ा ना मैया द होल थिंग इस दैट कि भैया सबसे बड़ा रुपैया, इस गीत की एक एक लाइन में इस आधुनिक युग में रुपए के महत्व को गाकर बताया गया है जो हमपर आज 46 साल बाद भी इसकी सच्चाई पर सटीक बैठता है, क्योंकि आज मुद्रा ही सब हो गई है, हर क्षेत्र में मुद्रा का ही बोलबाला है जो हकीकत बन चुका है, परंतु मेरे विचार से यह नहीं होना चाहिए। अगर हम यह गीत सुनेंगे तो हम वर्तमान परिस्थितियों में मेल खाती हुई सच्चाई को महसूस करेंगे। आज भारतीय मुद्रा दो तरह से प्रचलन में हैं। सिक्के और कागजी स्वरूप में,परंतु अंग्रेजों के आने से पहले मुद्रा केवल सिक्के के रूप में ही होती थी। सिक्के के रूप में भी भारतीय मुद्रा में समानता नहीं थी। एक मुद्रा एक स्थान पर तो मान्य थी, लेकिन दूसरे पर नहीं, जैसे हैदराबाद के निजाम के सिक्के अलग थे और सिखों के अलग। यह समानता मुगल लेकर आये और उन्होंने मुद्रा में एकरूपता स्थापित किया। चूंकि 1 नवंबर 2022 को भारतीय मुद्रा प्रणाली को डिजिटल रुपया (ई-रुपया) का आकार दिया गया है इसीलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आई जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से इसपर चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण (Digitization) की करें तो, भारत सरकार ने 01 फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी, 30 मार्च 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की, 01 नवंबर, 2022 को होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (ई-रुपया)लांच हुआइसको भारतीय रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल करेंसी डिजिटल रुपया को लॉन्च कर दिया है। केंद्रीय बैंक (आरबीआई) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया जारी किया है। यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने घोषणा की कि भारतीय रुपये के समानांतर डिजिटल ई-रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया गया है आरबीआई ने कहा हैकि ई-रुपया एक परिवर्तनीय कानूनी निविदा के रूप में कार्य करेगा, जिसके लिए धारकों को बैंक खाता रखने की आवश्यकता नहीं होगी।
आरबीआई गवर्नर नेबुधवार को बैंकरों के वार्षिक सम्मेलन में कहा,रिजर्व बैंक महंगाई दर पर उसी तरह नजर रख रहा है, जैसे महाभारत में अर्जुन ने एक घूमने वाली मछली की आंख में तीर मारने के लिए ध्यान केंद्रित करते हुए रखी थी।अर्जुन के कौशल की बराबरी कोई नहीं कर सकता, लेकिन हमारी (आरबीआई) अर्जुन की तरह महंगाई दर पर लगातार नजर रखने की कोशिश है। यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब महंगाई दर काफी तेज है और आरबीआई जल्द ही सरकार को इस संबंध में स्पष्टीकरण देगा विश्व बैंक का अनुमान है कि अभी इस तरह दूसरे देशों में पैसे भेजने पर 7 से अधिक का शुल्कचुकाना पड़ता हैजबकि डिजिटल करेंसी के आने से इस मद में 2 तक की कमी आएगी।
साथियों बात अगर हम ई-रुपया के इस्तेमालकी करेंतो आरबीआई की ओर पूर्व में शेयर की गई जानकारी के मुताबिक, सीबीडीसी (डिजिटल रुपी) एक पेमेंट का मीडियम होगा, जो सभी नागरिक, बिजनेस, सरकार और अन्य के लिए एक लीगल टेंडर के तौर पर जारी किया जाएगा, इसकी वैल्यू सेफ स्टोर वाले लीगल टेंडर नोट (मौजूदा करेंसी) के बराबर ही होगी। देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी आने के बाद हमको हमारे पास कैश रखने की जरूरत नहीं या कम हो जाएगी, या रखने की जरूरत ही नहीं होगी। करंसी विशेषज्ञों के मुताबिक ई-रुपया टोकन आधारित होगा। इसका मतलब यह है कि आप जिस व्यक्ति को पैसे भेजना चाहते हैं, उसकी पब्लिक ‘कीÓ के जरिये भेज सकते हैं। यह एक ईमेल आईडी जैसा हो सकता है। आपको पैसे भेजने के लिए पासवर्ड डालना होगा। ई- रुपया बिना इंटरनेट के भी काम करेगा। हालांकि, इस पर विस्तार से जानकारी आनी बाकी है।
ई-रुपया को हम अपने मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे, इसके अलावा यूजर्स इसे बैंक मनी और कैश में आसानी से कन्वर्ट भी करा सकेंगे। सबसे बड़ी बात इस डिजिटल रुपया का सर्कुलेशन पूरी तरह से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियंत्रण में होगा। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत में कमी आएगी। हालांकि, इस डिजिटल करेंसी के आने से देश की मौजूदा भुगतान प्रणालियों में कोई बदलाव नहीं होगा। साथियों बात अगर हम सीबीडीसी को समझने की करें तो, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर है।
यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है। दो तरह की होगी सीबीडीसी,(1)रिटेल जो संभवत सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी(2)होलसेल सीबीडीसी, इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है।थोक खंड के लिए होने वाले डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में नौ बैंक होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक आईडीएफसी फस्र्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं।
ये बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे। इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का नाम दिया गया है और भारत की ये पहली डिजिटल करेंसी हमारे लिए बहुत कुछ बदलने वाली है। साथियों बात अगर हम ई रुपया के फायदों की करें तो,देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी आने के बाद हमको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम होजाएगा आसानसीबीडीसी द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन होगाचेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट (Digitization) नहीं रहेगा।