तारकेश्वर मिश्र। Dengue Sting : देश में एक साथ दो जानलेवा बीमारी लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। कोरोना संकट के बीच लोग डेंगू के भी शिकार हो रहे हैं। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेंलगाना समेत कई राज्यों में तेजी से डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। प्रशासन के सामने दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है।
हालांकि, राज्य सरकारें हालात नियंत्रण में होने के दावे कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी समझ नहीं पा रहे हैं कि हालात पर कैसे काबू पाया जाए। डाक्टरों के अनुसार डेंगू के चार तरह के स्ट्रेन होते हैं। इनमें डेन 1, डेन 2, डेन 3 और डेन 4 शामिल है। जरूरी नहीं है कि एक बार किसी को डेन 1 हुआ तो दूसरी बार डेन 2 नहीं होगा। मरीज हर बार अलग-अलग स्ट्रेन का शिकार हो सकता है। दिल्ली और आसपास के इलाके में डेन 2 के केस देखने को अधिक मिल रहे हैं, जो एक खतरनाक स्ट्रेन की श्रेणी में है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया की करीब चालीस फीसद आबादी पर डेंगू का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल इस समय 250 करोड़ लोगो के एडीज एजिप्टी मच्छरों से होने वाले डेंगू बुखार की चपेट में आने का जोखिम है। दुनिया में हाल के दशकों में डेंगू के मामले में जिस प्रकार तेजी आई है वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बन गया है।
इस समय अफ्रीका, अमेरिका, दक्षिण पूर्वी एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के सौ से भी अधिक देश डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। डेंगू की कोई भी विशिष्ट विषाणुरोधी दवा उपलब्ध नहीं है। रोग के शीघ्र निदान व तत्काल रोगसूचक प्रबंधन से इस रोग से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, डेंगू संक्रमण दुनिया भर के 100 से अधिक देशों में होने वाली एक आम समस्या है और लगभग 3 बिलियन लोग डेंगू से प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं।
इनमें भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य भाग, चीन, अफ्रीका, ताइवान और मैक्सिको शामिल हैं। नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में सिर्फ भारत में डेंगू के 67,000 से भी अधिक मामले दर्ज किए गए थे। इस रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि वर्ष 2017 डेंगू के मामले में भारत के लिए सबसे खराब साल था। 2017 में लगभग 1.88 लाख डेंगू के मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें से 325 लोगों ने इसके कारण अपनी जान गंवा दी थी।
2003 में डेंगू की तीव्रता को देखते हुए इससे बचाव के तरीकों पर गंभीरता से विचार किया गया और इसे अधिसूचित बीमारियों की श्रेणी में रखा गया। इसके बाद मानवाधिकार आयोग ने भी जीवन रक्षा के बुनियादी हक को देखते हुए डेंगू के फैलाव को मानवाधिकारों का हनन माना, लेकिन इसके बाद भी नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। इस बार डेंगू अपने भयावह रूप में एक बार फिर हमारे सामने है और सरकार के सारे दावे एवं योजनाएं बौनी साबित हो रही हैं।
डेंगू का सबसे ज्यादा कहर उत्तर प्रदेश में दिख रहा है। यहां पर यूपी में डेंगू (Dengue Sting) और वायरल बुखार से अब तक 100 से ज्यादा मरीजों की जान जा चुकी है। इसमें सबसे ज्यादा फिरोजाबाद में लोगों की मौत हुई है। यहां पर डेंगू से अभी तक 75 लोगों ने दम तोड़ दिया है। वहीं, मथुरा में 17 लोगों ने दम तोड़ दिया है, जबकि कानपुर में एक हफ्ते के भीतर 10 लोगों की मौत हो गई। पूर्वी उत्तर प्रदेश में तो संदिग्ध बुखार कहर बनकर टूट रहा है। गोरखपुर,गोंडा, बलिया, जोनपुर, मैनपुरी समेत अन्य जिलों में भी डेंगू का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना की रफ्तार भले ही थम गई है, लेकिन डेंगू लोगों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। अबतक दिल्ली में डेंगू के कुल 124 मामले सामने आए हैं, इनमें से 72 मामले अकेले अगस्त में आए हैं। दक्षिणी नगर निगम की रिपोर्ट के मुताबिक 1 जनवरी से 4 सितंबर की अवधि में 2018 के बाद इस साल सबसे ज्यादा लोग डेंगू की चपेट में आए हैं।
2018 में 137 लोग डेंगू के शिकार हुए थे, जबकि इस साल का आंकड़ा देखें तो जनवरी से सिंतबर में ही 124 से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं। इस साल डेंगू के कुल मामलों के 58: मामले केवल पिछले महीने आए हैं, जो कि चिंता बढ़ाने वाली बात है। हालांकि, राहत की बात है कि दिल्ली में अभी तक डेंगू से किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन लगातार बढ़ रहे डेंगू के मरीज सरकार और प्रशासन के लिए चिंता का विषय है।
कोरोना संक्रमण के बीच डेंगू का तांडव हैदराबाद में देखा जा सकता है।
राज्य में सबसे ज्यादा डेंगू के मामले सामने आए हैं। 594 मरीज डेंगू पॉजिटिव पाए गए हैं। शहर में सबसे ज्यादा डेंगू मच्छर सूचकांक 16 तक पहुंचा है जो 2018 के बाद से शहर में मच्छर डेंगू सूचकांक का उच्चतम स्तर है। मीडिया रिपोट्र्स की मानें तो हैदराबाद के अलावा महबूबनगर, निर्मल, निजामाबाद, रंगारेड्डी और पेद्दापल्ली में भी डेंगू के मरीज मिल रहे हैं।
मध्यप्रदेश में भी डेंगू बुखार का कहर दिख रहा है। यहां डेंगू से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला इंदौर है। जिले में डेंगू तेजी से लोग डेंगू के शिकार हो रहे हैं। जिले में अभी तक 86 मरीज मिल चुके हैं, जबकि एक गर्भवती महिला की मौत हो गई है। प्रशासन जल्द ही मच्छरों को भगाने के लिए छिड़काव करने की तैयारी कर रहा है। वहीं, गुजरात में भी डेंगू लोगों को अपना शिकार बना रहा है। यहां भी बड़ी संख्या में लोग डेंगू बुखार से पीडि़त हैं। अहमादाबाद में डेंगू और चिकुनगुनिया के 100 से ज्यादा मरीज निकल रहे हैं।
पंजाब के पठानकोट में डेंगू के 31 मामलों की पुष्टि की गई है तो वहीं, गुरदासपुर में आठ मामले सामने आए हैं। पठानकोट में डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए सिविल अस्पताल में एक डेंगू वार्ड बना दिया गया है। वहीं, हरियाणा में भी डेंगू लोगों को अफना शिकार बनाने से पीछे नहीं है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, लोगों को काफी सजग रहने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद से लोगों के शरीर में इम्यूनिटी सिस्मट काफी कमजोर हुई है। ऐसे में अगर किसी दूसरी बीमारी का अटैक होता है तो परेशानी बढ़ सकती है।
डाक्टरों की माने तो आमतौर पर डेंगू (Dengue Sting) को इतना खतरनाक बीमार नहीं माना जाता है। अगर समय रहते इसका इलाज शुरू किया जाए तो बहुत ही जल्द मरीज ठीक हो जाता है। मगर पहले से मरीज किसी बीमारी का शिकार है या हाल फिलहाल में किसी बीमारी से ठीक हुआ है तो ऐसे स्थिति में मरीज के लिए डेंगू का डंक जानलेवा भी हो सकता है। जरूरत इस बात की है कि ज्यादा से ज्यादा एहतियात बरतें।
विशेषज्ञों के अनुसार, रोग के शीघ्र निदान व तत्काल रोगसूचक प्रबंधन से इस रोग से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। साथ ही मच्छर पैदा करने वाले थतों के उन्मूलन जैसे कि घरों में और उसके आस-पास पानी एकत्र न होने देना, कूड़ा करकट हटाना, जलपात्रों को ढककर रखना तथा कूलर सप्ताह में एक बार साफ किया जाना आदि के माध्यम से भी इस बीमारी पर अंकुश लगाया जा सकता है।