- दंतेवाड़ा की बुलगुम ग्राम पंचायत में 25 फरवरी को हुई ग्राम सभा में सीआरपीएफ कैंप के लिए जमीन देने का हुआ था निर्णय
- अब सरपंच, अन्य जनप्रतिनिधि व ग्रामीण कह रहे- पुलिस के दबाव में हुई थी ग्रमा सभा
- दंतेवाड़ा कलेक्टर को ज्ञापन सौंप इसे निरस्त कराने की मांग की
- पुलिस पर जबरन घर से उठा ले जाने व अंगूठा तथा हस्ताक्षर करवाने का भी आरोप
दन्तेवाड़ा/नवप्रदेश। दंतेवाड़ा (datewada villagers against police camp) जिले की बुरगुम ग्राम पंचायत (burgum panchayat villagers allagetion on police) के सरपंच हरीम मरकाम व अन्य जनप्रतिनिधियों ने दंतेवाड़ा कलेक्टर (dantewada collector) को ज्ञापन सौंप उनसे 25 फरवरी को बुरगुम में हुई ग्राम सभा (gram sabha) व इसमें लिए गए निर्णय को रद्द करने की अपीली की है। इस ग्राम सभा में सीआरपीएफ कैंप (dantewada crpf camp) के लिए जमीन देने का निर्णय लिया गया था।
लेकिन दंतेवाड़ा (dantewada villagers against police camp) की बुरगुम ग्राम पंचायत (burgum panchayat villagers allegation on police) के सरपंच ने कलेक्टर (dantewada collector) को सौंपे ज्ञापन में कहा है कि ग्राम सभा पुलिस दबाव में हुई और अब इसके कारण उनकी जान को खतरा है।
ज्ञापन में इस बात का भी उल्लेख है कि ग्राम सभा (gram sabha) में लिए गए फैसले के कारण गांववालों का गुस्सा उन पर फूट रहा है और यहां तक कि गांववालों ने उनकी पिटाई भी कर दी।
बता दें कि 25 फरवरी को कुआकोंडा ब्लाक के अरनपुर थानाक्षेत्र के बुरगुम ग्राम पंचायत में विशेष ग्रामसभा आयोजित की गई थी। इसमें सर्वसम्मति से पुलिस विभाग को कैम्प (datewada crpf camp) स्थापित करने के लिए बड़े झाड़ के जंगल खसरा नम्बर 115 से6.25 हेक्टेयर भूमि देने का निर्णय लिया गया था।
दस्तावेज पर सरपंच व 62 ग्रामीणों के हस्ताक्षर
इस निर्णय संबंधी दस्तावेज पर ग्रामसभा में पहुचे 62 महिला-पुरुष ग्रामीणों के अंगूठे के निशान और सरपंच सहित ग्रामसभा में मौजूद अन्य लोगों के हस्ताक्षर भी किए गए। लेकिन दो दिन बाद ही अब बुरगुम सरपंच हरीम मरकाम सहित बुरगुम के ग्रामीण जनप्रतिनिधियों ने दन्तेवाड़ा पहुंचकर इस ग्रामसभा को गलत बताते हुए पुलिस दबाव में जबरन ग्रामसभा कराने की बात करते हुए कलेक्टर से निरस्त कराने की अपील की है।
ये लिखा है सरपंच के कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में
बुरगुम सरपंच हरीम मरकाम ने दन्तेवाड़ा कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में लिखा है- ‘मुझे ग्रामसभा की जानकारी दो दिन पहले ही प्रशासन ने दी थी पर ग्रामीणों को मैंने इस ग्रामसभा के बारे में कुछ भी नहीं बताया। मेरी इस गलती की वजह से मैं बुरगुम पंचायत के ग्रामीणों का गुस्सा झेल रहा हूं। उक्त ग्रामसभा के 10 पारा में से महज 1 ही पारा पुजारीपाल के ग्रामीणों को घेराबंदी करके जबरन बुलाया गया था। लोगों का जबरन अंगूठा लगवाने के बाद बताया गया कि यह ग्रामसभा सीआरपीएफ कैंप के लिये है। इन सब बातों से पंचायत के ग्रामीणों का गुस्सा मेर ऊपर फूट रहा है और ग्रामीणों ने मुझसे मारपीट भी कर दी। मेरी जान को खतरा बढ़ गया है। इसलिए इस ग्रामसभा व इसमें लिए गए निर्णय को निरस्त कर दिया जाए।‘ ज्ञापन में सरपंच ने अपने चार बच्चों का भी हवाला दिया है।
जमीन का दावा करने वाले ने भी सौंपा आवेदन
कलेक्टर को दूसरा आवेदन नंदे मंडावी नाम में शख्स द्वारा सौंपा गया। इसमें लिखा है- ग्रामसभा में दी गई भूमि मेरी है और इस भूमि का न्यायालय में प्रकरण पहले से दर्ज है। इस ग्रामसभा को सफल करने के लिए पुलिस वाले मुझे जबरन घर से उठाकर ले गए हस्ताक्षर करवा लिया। नंदे ने आवेदन में उन्हें जबरन घर से उठाकर ले जाने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की भी मांग की है।
प्रशासन ने मीडिया में जारी किए थे फोटो, वीडियो व दस्तावेज
इस सब मामले की खास बात यह है कि 25 फरवरी को हुई ग्रामसभा की तस्वीर, वीडियो और ग्रामसभा में लिए गए निर्णय संबंधी समस्त दस्तावेज प्रशासन ने मीडिया में जारी किये थे। फोटो व वीडियो में सभी ग्रामीण सरपंच सहित नजर आ रहे हैं, लेकिन अब दो दिन बाद ही सरपंच सहित सभी जनप्रतिनिधि व ग्रामीण पुलिस दबाव में जबरन ग्रामसभा करवाने की बात कह रहे है। कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे जनप्रतिनिधियों में जिला पंचायत सदस्य पायके मरकाम, समेली, नीलवाया सरपंच, बुरगुम गांव के जोगा, समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी सहित दर्जनों ग्रामीण मौजूद थे।