भुवनेश्वर/नई दिल्ली। ओडिशा के पुरी में चक्रवाती तूफान ‘फोनी ने दस्तक दे दी है। पुरी में लैंडफॉल के बाद तेज बारिश के साथ 200 किमी/घंटे की रफ्तार से हवा चल रही हैं। इस चक्रवात के बारे में जो बात जानकारों को सबसे ज्यादा हैरान कर रही है, वह इसकी टाइमिंग है। जानकारों का कहना है कि इस तरह का चक्रवाती तूफान आम तौर पर मॉनसून के बाद आता है, लेकिन इस समय इसका दस्तक देना चौंकाने वाला है।
टाइमिंग ने चौंकाया
मौसम विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मियों में ऐसे चक्रवाती तूफान बेहद कम आते हैं, आम तौर पर मॉनसून के बाद सितंबर-नवंबर में ऐसे तूफान आते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1965 से 2017 तक बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में 46 भयानक चक्रवात दर्ज किए गए हैं। इनमें से अक्टूबर से दिंसबर के बीच 28 चक्रवात आए, 7 चक्रवात मई में और महज दो चक्रवात अप्रैल (1966, 1976) में आए। 1976 के बाद फोनी पहला ऐसा तूफान है, जिसका निर्माण अप्रैल में शुरू हुआ।
चौथा सबसे खतरनाक चक्रवात
पिछले तीन दशकों में पूर्वी तटों से टकराने वाला यह चौथा सबसे खतरनाक चक्रवात है। ओडिशा ने इससे पहले जिन भयानक चक्रवाती तूफानों का सामना किया है, वे साल 1893, 1914, 1917, 1982 और 1989 में आए थे। ये तूफान या तो यहां खत्म हो गए थे या फिर पश्चिम बंगाल के तटों की तरफ चले गए थे। जानकारों का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण हमें भविष्य में भी इस तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
जितनी धीमी शुरुआत, उतना खतरनाक चक्रवात
जानकारों का कहना है कि चक्रवात की शुरुआत जितनी धीमी होती है, उसका प्रभाव उतना ही खतरनाक होता है। इसके पीछे कारण यह है कि धीमा होने के कारण चक्रवात को नमी और ऊर्जा को एकत्रित करने का समय मिल जाता है और लैंडफॉल के बाद यह और भी खतरनाक हो जाता है।
क्या कहता है इतिहास
अब तक आए सबसे खतरनाक 35 चक्रवाती तूफान में से 26 बंगाल की खाड़ी से शुरू हुए हैं। 1999 में आए सुपर सायक्लोन, जो ओडिशा में 30 घंटे तक रहा था, में 10 हजार लोग मारे गए थे। इससे पहले 1971 में ऐसे ही चक्रवात में करीब 10 हजार लोग ही मारे गए थे। अक्टूबर 2013 में चक्रवात फैलिन और पिछले साल चक्रवात तितली के प्रकोप से बड़ी संख्या में लोगों को बचाने के लिए उन्हें पहले ही सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा चुका है। हालांकि उसके बाद भी इन दोनों तूफानों में 77 लोग मारे गए थे।
अक्टूबर 2014 में हुदहुद नाम के एक चक्रवात में 124 लोग मारे गए थे। फोनी चक्रवात की तीव्रता भी लगभग उतनी ही बताई जा रही है। 2017 में चक्रवात ओक्खी की वजह से तमिलनाडु और केरल में 250 लोग मारे गए थे।
करीब 10 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
बता दें कि ओडिशा में फोनी तूफान ने दस्तक दे दी है। तूफान की गंभीरता को देखते हुए पहले ही 10 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया जा चुका है। एक अनुमान के मुताबिक, करीब 10 हजार गांव और 52 शहर इस भयानक तूफान के रास्ते में आएंगे। 20 साल में पहली बार इतना भयानक तूफान आया है। एनडीआरएफ की 28, ओडिशा डिजास्टर मैनेजमेंट रैपिड ऐक्शन फोर्स की 20 यूनिट और फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट के 525 लोग रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तैयार हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की 302 रैपिड रेस्पॉन्स फोर्स टीम तैनात की गई हैं।