cwc meeting: पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर बखूबी अपने जिम्मेदारी निभाई
– सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को उठाया
नयी दिल्ली।cwc meeting: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष के लिए संगठनात्मक चुनाव कराने की मांग कर रहे नेताओं को करारा जवाब देते हुए कहा है कि कांग्रेस कार्य समिति ने 2019 में उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी है उसमें वह सबको साथ लेकर चली हैं और पार्टी की मजबूती के लिए उन्होंने इस जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन भी किया है।
श्रीमती गांधी ने शनिवार को यहां पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कार्यसमिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि संगठन में चुनाव कराने की मांग पार्टी में चारों तरफ से हो रही है और सभी की भावना के अनुसार कांग्रेस की मजबूती के लिए संगठनात्मक चुनाव होने चाहिए लेकिन पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को इससे पहले एकजुट होकर पार्टी हितों को सर्वोपरि रखते हुये काम करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पार्टी में संगठनात्म चुनाव (cwc meeting) कराने या अन्य मुद्दों को पार्टी के भीतर उठाया जाना चाहिए। पार्टी के आंतरिक मुद्दों को सार्वजनिक मंचों पर या मीडिया के माध्यम से नहीं उठाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि उन्होंने पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर बखूबी अपने जिम्मेदारी निभाई है और सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को उठाया है और उन्हें बिना सोचे-समझे नहीं जाने दिया है। पार्टी नेता जो भी कहते हैं उन्होंने उस पर ध्यान दिया है लेकिन मीडिया के माध्यम से कोई भी बात उनसे नहीं की जा सकती है।
श्रीमती गांधी ने कहा कि कांग्रेस को मजबूत करने के लिए सभी को मिलकर काम करने और निजी हितों का ध्यान रखे बिना पार्टी के हितों को सर्वोपरि मानते हुए काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 2019 में कांग्रेस कार्यसमिति ने ही उन्हें अंतरिम अध्यक्ष के रूप में काम करने की जिम्मेदारी सौंपी थी औ वह इस पद पर तब से जिम्मेदारी से काम कर रही हैं और उन्होंने सभी को साथ लेकर चलने का का प्रयास किया। दलितों, किसानों, आदिवासियों, गरीबों, पिछड़ों, कमजोर वगों सभी का मुद्दा वह उठाती रहीं हैं।
उन्होंने कहा कि पार्टी के संगठनात्मक चुनाव इस साल जून में कराने का निर्णय लिया गया था लेकिन कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण यह चुनाव समय पर नहीं कराए जा सके। कोरोना को हराने के लिए सभी को उसके लिए निर्धारित नियमों का पालन करना था इसलिए चुनाव नहीं हो सकते थे। संगठन में चुनाव होना सभी की भावना है लेकिन पार्टी नेताओं को इस तरह के मुद्दे संगठन के भीतर ही उठाने चाहिए और पार्टी के अंदर के मुद्दे मीडिया के जरिए सामने नहीं आने चाहिए थे।