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निलंबित आईपीएस ने स्टेट गवर्नमेंट को बनाया पार्टी
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सुको ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
नवप्रदेश/रायपुर। भ्रष्टाचार (corruption), पद का दुरुपयोग (misuse of post), कथित मौत और साडा जमीन घोटाले (sada land scam) के अलावा कई मामलों में राज्य सरकार की एजेंसियों के घेरे में फंसे निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता (ips mukesh gupta) अब सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) की शरण में हैं।
सुप्रीम कोर्ट (supreme court) से उन्हें बड़ी राहत मिल भी गई है। उनके व्दारा लगाई गई रिट में छत्तीसगढ़ शासन की ओर से की जा रही जांच और दर्ज मामलों को प्रायोजित बताने में वे एक तरह से कामयाब होते नजर आ रहे हैं। उनकी रिट पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने राज्य सरकार व संबंधित पक्षों को जवाब हेतु नोटिस जारी कर दिया है।
एक बार फिर पुलिस, एसीबी और ईओडब्ल्यू जैसी एजेंसियों समेत डीजी स्तर की जांच रिपोर्ट से अकेले जूझते हुए निलंबित आईपीएस हर बार एक कदम आगे ही साबित हुए हैं। फिर चाहे वो जांच के नाम पर बयान के लिए आने के दौरान के उनके तेवर हों या फिर खुद की शर्तों में बयान देने से बचने की कोशिशें।
बेधड़क आते-जाते रहे हैं रायपुर-बिलासपुर
गिरफ्तारी और लगातार कई मामलों में दबाव बढऩे के बाद भी वे बेधड़क रायपुर, बिलासपुर आते-जाते रहे और न्यायालय से उन्हें त्वरित राहत मिलती भी गई। यह कहना गलत नहीं होगा कि वे जांच कमेटी और कई नामचीन कानूनविद् भी घेर नहीं पाए हैं। ऐसे में दिल्ली के ठिकानों से बार-बार रायपुर और बिलासपुर आने में परेशानी से भी वे निजात पाने में एक तरह से कामयाब हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में रिट दायर करने के बाद सुनवाई के बाद सीधे उन्होंने खुद पर रोपित जांच और मामले को राज्य सरकार व्दारा प्रायोजित बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी रिट पर सुनवाई करते हुए उनके मामलों से जुड़े संबंधित पक्षों को जवाब पेश करने नोटिस जारी कर दिया है।
ये हो सकता है आगे
बताया जा रहा है कि अब जितने भी मामले में उनपर जो भी एजेंसियां जांच कर रही हैं उसे सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में जवाब पेश करना होगा। अगर जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो एक तरह से निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता और राज्य सरकार की संबंधित एजेंसियों के बीच चल रहे चुहा-बिल्ली के इस खेल का पटाक्षेप भी हो जाएगा।
दांवपेंच में माहिर हैं आईपीएस मुकेश
आमतौर पर जब सरकार की तीन बड़ी एजेंसियां किसी के पीछे पड़ जाएं तो आईपीएस क्या खाटी नेता भी हलाकान हो जाते हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जब निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता ने कानूनी दांवपेंच में पडऩे के बाद भी जांच एजेंसियों को नाको-चने चबवाया है। ताजा उदाहरण है कि आधा दर्जन मामलों में केस दर्ज और जांच रोपित होने के बाद भी वे लगातार गिरफ्तारी व सख्ती से बचे हुए हैं। यही नहीं अब तक उनके ठिकाने तक का पता जांच एजेंसियां नहीं लगा पाई हैं।
ऐसा ही एक उदाहरण है मुकेश गुप्ता वर्सेस लोकायुक्त जांच के किस्से का। जब लोकायुक्त में मुकेश गुप्ता और उनके परिवार व रिश्तेदारों की संपत्ति मामले में लंबी नूराकुश्ती चली। आखिरकार हाईकोर्ट से बड़ी राहत मुकेश गुप्ता को मिली और लोकायुक्त को उनके खिलाफ जांच कराए जाने की संस्तुति की थी। आखिरकार हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी लोकायुक्त प्रकरण पर आगामी आदेश तक जांच में रोक के बाद भी जांच करता रहा। तब आईपीएस मुकेश गुप्ता ने हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना का केस दर्ज कर पूरे लोकायुक्त को माफी मांगनी पड़ गई थी।