जबलपुर/नवप्रदेश। Corona Warrior : जबलपुर हाईकोर्ट में एफआईआर और पोस्टमॉर्टम नहीं होने के कारण मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना का आवेदन खारिज किए जाने को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने माना कि नॉन मेडिको लीगल मामले में एफआईआर और पोस्टमॉर्टम की आवश्यकता नहीं है। एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को योजना के तहत 30 दिनों में 50 लाख रूपये की राशि प्रदान करने के आदेश जारी किया है।
याचिकाकर्ता लक्ष्मी उम्र 20 साल की तरफ से दायर याचिका (Corona Warrior) में कहा गया था कि उसकी मां दुर्गा आंगनबाड़ी में सहायिका थी। करोना काल में वह पोषण आहार वितरित करने जा रही थी। उसकी मां करोना कर्तव्यों का पालन करते समय 5 अप्रैल 2020 को गिरकर घायल हो गई थी। डीप वेन थ्रॉम्बोसिस के कारण 24 अप्रैल 2020 को उसकी मां की मौत हो गई।
मुख्यमंत्री कोविड 19 योद्धा कल्याण योजना में आंगनबाड़ी सहायिकों को शामिल किया गया था। योजना के तहत कोरोना काल में कर्तव्यों का पालन करते हुए या दुर्घटना में मौत पर 50 लाख का मुआवजा दिए जाने के प्रावधान था। जिसके लिए उसने आवेदन किया था।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला प्रोग्राम अधिकारी और जिला कलेक्टर बड़वानी ने मांग को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि योजना के तहत एफआईआर व पोस्टमॉर्टम के दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक है। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि महिला दुर्घटना में घायल हुई थी और उपचार के दौरान उसकी 24 दिन बाद मौत हो गई।
नॉन मेडिको लीगल (Corona Warrior) मामले में एफआईआर और पोस्टमॉर्टम की आवश्यकता नहीं है। युगलपीठ ने जिला प्रोग्राम अधिकारी और जिला कलेक्टर के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को योजना के तहत 50 लाख रूपये की राशि प्रदान करने के आदेश दिए हैं।