-बुढ़े सुखो पोयाम को यूं लेने पहुंची 108 तब बची जान
-स्वास्थ्य टीम ने खाट के सहारे तय किया 1 किमी का रास्ता
-बस्तर में एम्बुलेंस है लेकिन दूरस्त गांव तक पहुंच मार्ग अब भी बदत्तर
बीजापुर/नवप्रदेश। दुनिया कोरोना वायरस (corona virus) जैसी महामारी से परेशान (worried) है और बस्तर (bastar) के ग्रामीण क्षेत्र चिकित्सा सुविधाओं (Medical facilities) को लेकर परेशान (worried) है। बस्तर में चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में कई बार जान भी चली जाती है।
राज्य सरकार की फ्री 108 एम्बुलेंस (108 ambulance) की सुविधा तो उपलब्ध है लेकिन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मियों को खाट का सहारा लेकर कई किलोमीटर तक मरीज को लेकर पैदल चलना पड़ता है। उसके बाद 108 एम्बुलेंस की सुविधा नसीब हुई है।
अस्पताल और एम्बुलेंस 9 किलोमीटर दूर
जहां बूढ़े सुखो पोयाम 68 वर्ष की हालत बहुत खराब थी। उसके शरीर में सूजन और तेज बुखार से उसकी हालत बुरी तरह खराब हो गई। जान जोखिम में देखकर गांव वालों ने मदद के लिए एम्बुलेंस 108 (108 ambulance) की सेवा को कॉल किया। मरीज की तबियत बिगड़ती ही जा रही थी और अस्पताल व एम्बुलेंस करीब 9 किलो मीटर दूर थी। मदद के लिए बाकायदा एम्बुलेंस वक्त पर पहुंची लेकिन खस्ताहाल रास्तों के कारण वह गांव तक नहीं पहुंच पाई।
चिकित्सा किट लेकर स्वस्थ्य कर्मी चले पैदल
बस्तर की मुख्य सड़कें जितनी अच्छी हैं उसकी तुलना में उससे कहीं ज्यादा गांव का पहुंच मार्ग बदतर स्थिति में है। लेकिन अपने कर्तव्य को समझते हुए एम्बुलेंस स्टाफ (Ambulance staff) ने करीब 1 किलो मीटर से ज्यादा का रास्ता पैदल ही तय किया और साथ में चिकित्सा किट लेकर वे तकलीफ से कराहते बूढ़े सुखो पोयाम तक पहुंच ही गए। बाद में उसकी हालत खराब होता देख पूरी टीम ने गांव वालों की मदद से मरीज को खाट पर लादकर पैदल ही रास्ता तय किया और फिर एम्बुलेंस तक लेकर पहुंचे।
108 की टीम को कामयाबी के साथ सराहना भी मिली
एक मरीज की तो जान महफूज करने में 108 (108 ambulance) की टीम को कामयाबी के साथ सराहना भी मिली, लेकिन यह भी सवाल उठा कि गांव तक पहुंचने का रास्ता और बस्तर के ग्रामीणों को क्या ऐसे ही चिकित्सा लाभ के लिए मशक्कत करना होगा।
इनकी मेहनत से बच गई जिंदगी
एम्बुलेंस ईएमई हैमराज सिंह, टी.एल.आलिया, पायलट रमेश कुमार और सिवा तोगर ईएमटी ने बताया कि वे मरीज को लेने पैदल ही निकल पड़े और मरीज के परिजनों के साथ उनके सहयोग से सूझबूझ दिखाते हुए काट के माध्यम से एंबुलेंस तक कुद पायलटों ने लाया ऐसी कई अंदरूनी क्षेत्रों तक स्वस्थ टीम को पहुंचने के लिए कहीं कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
प्रशासन की ओर से नहीं होती कोई पहल
इसका मुख्य कारण इन गांवों मे होता हैं सड़क का निर्माण ना होना दिखता है प्रशासन को भी जब-जब इन क्षेत्रों में किसी मरीज की तबीयत खराब होती है 108 की सुविधा गांव तक जाने में सक्षम नहीं होता और कई बार मीडिया के माध्यम से भी शासन – प्रशासन और जनप्रतिनिधियों तक पहुंचती है यह बात पर इस दिशा में किसी भी तरह ध्यान ना देना या दर्शाता है कि लोगों के प्रति प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं होता जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है इन दिनों।