-धमनी रोग में अवसाद का 40प्रतिशत जोखिम
- -रिसर्च में सामने आया दिमाग में चलते है भयानक ख्याल
- -सीधा संबंध मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से है
नई दिल्ली। Coronavirus Research: पूरी दुनिया कोरोना के भीषण संकट से जूझ रही है। मरीजों की बढ़ती संख्या और नए वेरिएंट ने तनाव को और बढ़ा दिया है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
दुनिया भर के विभिन्न अस्पतालों में कोरोना पीडि़तों का इलाज चल रहा है और अब तक लाखों लोग कोरोना पर सफलतापूर्वक विजय पा चुके हैं। कोरोना से जंग जीतने वालों की बाकी जिंदगी कैसी होगी, यह कहना मुश्किल है।
शोध से पता चला है कि जो लोग कोरोना से बचे रहते हैं उनमें अवसाद, नींद की समस्या और नशीली दवाओं के सेवन का खतरा अधिक होता है। अमेरिका में हुए शोध से पता चला है कि कोरोना का सीधा संबंध मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से है।
एक रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं (Coronavirus Research) ने 1.5 मिलियन लोगों का अध्ययन किया। इस बीच, उन्होंने पाया कि कोरोना से संक्रमित होने के एक साल के भीतर लोगों में अवसाद या नींद की समस्या होने की संभावना 40 प्रतिशत अधिक थी।
20 प्रतिशत लोग मादक द्रव्यों का सेवन करते हैं। इसके अलावा, उन्हें पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, आत्महत्या के विचार और पैनिक अटैक का खतरा अधिक था। शोधकर्ताओं ने कहा कि संक्रमण जितना गंभीर होगा, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के विकसित होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। कोरोना का सीधा संबंध मानसिक स्वास्थ्य से लगता है।
शोध ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित हुआ था। हालाँकि, यह शोध पूरी तरह से अवलोकन पर आधारित है और इसके पीछे के कारणों का विस्तार से वर्णन नहीं करता है। डिप्रेशन और चिंता पहले से ही लॉन्ग कोविड से जुड़े हुए हैं।
सेंट लुइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 60 वर्ष की आयु के लगभग 150,000 सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों का अध्ययन किया, जिन्होंने जनवरी 2021 तक कोरोना के लिए सकारात्मक परीक्षण किया था। इन लोगों पर साल भर नजर रखी जाती थी।
जनसंख्या की तुलना 5.6 मिलियन सैन्य कर्मियों से की गई जो उस अवधि के दौरान संक्रमित नहीं थे। इस समय शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रत्येक 1000 लोगों के लिए अवसाद के लगभग 15 अतिरिक्त मामले थे जिन्होंने कोविड से लड़ाई जीती। कोरोना पीडि़तों में भी देखे आत्महत्या के ेविचार, यह आंकड़ा सामान्य से 24 फीसदी ज्यादा है। उन्होंने अनिंद्रा जैसी समस्याओं के बारे में भी बताया।
इतना ही नहीं, इन लोगों के शराब और नशीले पदार्थों के आदी होने की संभावना दूसरों की तुलना में अधिक थी। खासतौर पर कोरोना के साइड इफेक्ट पर काफी रिसर्च हो चुका है। यह भी सुझाव दिया गया है कि कोरोना हृदय रोग वाले व्यक्ति के लिए मोटापा घातक हो सकता है।
कोरोना ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। दुनियाभर में मरीजों की संख्या 42 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है और कुल संख्या 423,809,825 पर पहुंच गई है। 5,901,261 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
कई देशों में कोरोना ने गंभीर स्थिति पैदा कर दी है। दुनिया भर के विभिन्न अस्पतालों में मरीजों का इलाज किया जा रहा है। कई लोगों ने कोरोना की जंग जीत ली है। 348,805,392 लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं।