भक्ति में आड़े आया कोरोनासुर, कुम्हार आखिर जीएं तो कैसे, कर्फ्यू के बीच रायपुर... | कोरोना भारत (corona india) में कोरोनासुर बन गया है। बुधवार से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र (chaitra navratra) पर इसका असर पड़ना तय है। कोरोना के चलते लोग घरों

भक्ति में आड़े आया कोरोनासुर, कुम्हार आखिर जीएं तो कैसे, कर्फ्यू के बीच रायपुर…

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चैत्र नवरात्र बुधवार से पर कुम्हारों के पास से नहीं बिक सके कलश

मंदिरों में इक्का दुक्का ही हो रही कलश स्थापना, वो भी पुजारी ही कर रहे रायपुर/नवप्रदेश। कोरोना भारत (corona india) में कोरोनासुर बन गया है। बुधवार से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र (chaitra navratra) पर इसका असर पड़ना तय है। कोरोना के चलते लोग घरों में माता रानी की आराधना तो कर पाएंगे, लेकिन मंदिरों में कलश प्रज्वलित नहीं कर पाएंगे। क्योंकि कोरोना (corona india) से लोग एकसाथ जमा नहीं हो सकते और अब तो घरों से बाहर नहीं निकल सकते। बहरहाल इसे पूरे प्रकरण से कुम्हारों का (potter in woe) जीना दुश्वार हो गया है।

बेचते थे 100 कलश इस बार एक-दो से ज्यादा नहीं बेचा

हर साल चैत्र नवरात्र (chaitra navratra) में कलश स्थापना के लिए कुम्हारों (potter in woe) द्वारा ही कलश उपलब्ध कराए जाते थे। लेकिन इस बार कोरोना के चलते कुम्हार कलश ही नहीं बेच पा रहे हैं। रायपुर के राठौड़ चौक स्थित अपनी दुकानें लगाए कुम्हारों ने नवप्रदेश संवाददाता को बताया कि इस बार वे एक-दो कलश से ज्यादा नहीं बेच पाए हैं।

एक कुम्हार महिला ने बताया कि बाजू में स्थित हुनमान मंदिर से पिछले साल उसे 100 कलश का ऑर्डर मिला था लेकिन इस बार सिर्फ एक कलश मंगाया गया है, जिसे सिर्फ मंदिर के पुजारी जलाने वाले  हैं। चौक पर करीब 6 से 7 कुम्हारों की गुमठियां हैं। सभी का कहना यही है कि इस बार उनका तो भगवान ही मालिक है।

मौसम की मार से भी बिक्री प्रभावित

कुम्हारों ने यह भी बताया कि पिछले साल मार्च के इस वक्त तक मटकों,  सुराही आदि की अच्छी खासी बिक्री शुरू हो गई थी, लेकिन इस बार अब तक हो रही बारिश व गर्मी न पड़ने से मटकों व सुराहियों की भी मांग नहीं है। और ऊपर से अब ये कारोना आ गया। बड़ी मुश्किल से 100-200 रुपए की बिक्री होती है।    

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