सतना/नवप्रदेश। कोरोना (corona in mp) को लेकर प्रध्य प्रदेश (madhya pradesh corona) में आए दिन नए-नए घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं। इंदौर से सतना की सेंट्रल जेल (central jail of satna) में शिफ्ट हुए पुलिस पर हमला करेने वाले चार आरोपियों में से दो आरोपियों के कोरोना पॉजिटिव निकलने की खबर से जेल में बंदियों के बीच जबरदस्त हड़कंप का माहौल है।
दोनों के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि सीएमएचओ डॉ. ए. के. अवधिया ने की है। बताया जाता है कि कोरोना पॉजिटिव उक्त आरोपियों को मेडिकल टीम के साथ संजय गांधी हॉस्पिटल रीवा भेज दिया गया है। जबकि जांच में निगेटिव निकले अन्य दो आरोपियों को जेल की अलग अलग बैरक में शिफ्ट किया गया।
10 पुलिसकर्मी क्वारंटाइन में
इस दौरान कोरोना पॉजिटिव इन आरोपियों के संपर्क में आने वाले जेल (central jail of satna) के 10 पुलिस कर्मियों की कोरोना की जांच के बाद उन्हें यहां क्वॉरेंटाइन में रखा गया है। गौरतलब हो कि इंदौर के चंदननगर में पुलिस पर पथरावबाजी करने वाले 6 आरोपियों पर रासुका की कार्रवाई करते हुए इंदौर कलेक्टर ने इंदौर जेल में रखने की बजाय बगैर मेडिकल जांच के दो आरोपियों को जबलपुर जेल और चार आरोपियों को सतना की सेंट्रल जेल में शिफ्ट करने का फरमान जारी कर दिया था।
जो भी हो फिलहाल कोरोना को लेकर लॉक डाउन की स्थितियों के बावजूद भी जेल प्रबंधन ने उपरोक्त आरोपियों को बगैर मेडिकल जांच के जेल के अंदर प्रवेश देकर अपनी जेल को असुरक्षित कर दिया। जेल में प्रवेश कराने के बाद जब इनका चेकअप कराया गया तो जबलपुर में शिफ्ट दो में से एक और सतना जेल में शिफ्ट चार में से दो आरोपी कोरोना पॉजिटिव निकलकर सामने आए।
संपर्क में आए जिम्मेवार अफसरों को जांच से रखा दूर
हैरानी की बात तो यह है कि सतना की सेंट्रल जेल में कोरोना पॉजिटिव निकले आरोपी के लगातार संपर्क में रहे जेल के प्रमुख या यूं कहें जिम्मेवार अधिकारियों व स्टाफ को कोरोना जांच से दूर रखा गया। इनमें सबसे पहला नाम जेल के मुख्य प्रहरी रमेश ओझा के रूप में सामने आया है, जिसके द्वारा जेल के प्रमुख द्वार का ताला खोलकर चारों आरोपियों की तलाशी लेने के बाद अंदर एंट्री दी गई। इसके बाद प्रहरी अशोक पटेल और जेल कंपाउंडर कृष्णा गुप्ता के साथ उपरोक्त चारो आरोपी बतौर मुलाहिजा के रूप में जेल अधीक्षक नरेंद्र प्रताप सिंह व जेलर आरके चौरे के चेम्बर में पेश होकर संपर्क में आए।
अब सवाल यह उठता है कि जब उपरोक्त आरोपी जेल में इतने लोगों के संपर्क में आए तो फिर इनमें से किसी का एक का भी चेकअप क्यों नहीं कराया गया ? जेल प्रबंधन ने इस मामले में सिर्फ और सिर्फ 10 पुलिस कर्मियों के नाम चिन्हित किए, जिनको चेकअप के बाद यहां क्वॉरेंटाइन में रखा गया।