अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. दवे बोले- मरीज को कितने दिन भर्ती रखना पड़ेगा यह तय नहीं, इसलिए इतनी राशि का उल्लेख
रायपुर/नवप्रदेश। कोरोना (corona in cg) की आपदा को स्वार्थसिद्धि के अवसर में बदलने का खेल राजधानी के निजी अस्पतालों में बदस्तूर जारी है। राजधानी के के प्रतिष्ठित रामकृष्ण केयर अस्पताल (ramkrishna hospital give 10 lakh rupees estimated bill to corona patient) ने एक कोरोना (coron in cg) मरीज को उसके इलाज के लिए 10 लाख रुपए का अनुमानित बिल दिया है।
वो भी तब जब राज्य सरकार ने वेंटिलेटर वाले सीरीयस मरीजों के लिए निजी अस्पताल का एक दिन बिल प्रति मरीज 17 हजार रुपए तय किया हुआ है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि 17 हजार रुपए में इलाज कर पाना उनके लिए संभव नहीं है।
यह बिल अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस बिल को 10 दिन का अनुमानित खर्च बताया जा रहा है। बिल में संबंधित मरीज को कोविड 19 का सीरीयस पेशेंट बताया गया है। अनुमानित बिल की खास बात यह भी है कि इसमें दवा का अनुमानित खर्च 4 लाख 50 हजार रुपए बताया गया है। रामकृष्ण केयर अस्पताल के मैनिजिंग डायरेक्टर डॉ. संदीप दवे ने भी स्वीकार किया कि वायरल अनुमानित बिल उन्हीं के अस्पताल का है।
डॉ. संदीप दवे ने ये कहा
उन्होंने अपनी सफाई में यह भी कहा कि मरीज उनके अस्पताल में भर्ती है। चूंकि मरीज सीरीयस था, इसलिए कहा नहीं जा सकता था उसे कितने दिन अस्पताल में भर्ती रखना पड़ेगा। इसिलए उक्त रकम का अनुमानित बिल दिया गया। बिल में कहीं भी दिनों का उल्लेख नहीं है। मरीज के इलाज पर अभी 6-6.50 लाख रुपए खर्च हो गए हैं।
उसे और कुछ दिन और भर्ती करना पड़ेगा। मरीज में सुधार हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह एस्टिमेट उन्होंने मरीज द्वारा मांगे जाने पर ही दिया। मरीज ने उनसे कहा था कि वे अनुमान के आधार पर वे अपने समाज के लोगों से मदद की गुहार लगाएंगे।
17 हजार रुपए प्रतिदिन के खर्च में इलाज मुश्किल : डॉ. दवे
रामकृष्ण केयर हास्पिटल (ramkrishna hospital give 10 lakh rupees estimated bill to corona patient) के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. संदीप दवे से यह पूछे जाने पर कि जब सरकार ने वेंटिलेटर वाले कोरोना मरीजों के लिए प्रतिदिन का चार्ज सिर्फ 17 हजार रुपए तय किया गया है तो इतना बिल कैसे हो सकता है।
जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार के आदेश में डॉक्टर की फीस, पीपीई किट आदि तमाम खर्च समाहित नहीं है। आदेश स्पष्ट नहीं है। यदि सरकार हर दिन का 17 हजार रुपए ही लेने को कहे तो हमारे लिए कोविड मरीजों का इलाज करना मुश्किल हो जाएगा। अस्पताल का स्टाफ भी संक्रमित हो रहा है। उनका खर्च भी मुझे ही वहन करना है।
अनुमानित बिल एक नजर में
बेड चार्ज- 20 हजार
इन्वेस्टिगेशन चार्ज – 1 लाख
वेंटिलेटर चार्ज- 50 हजार
मेडिसिन चार्ज – 4 लाख 50 हजार रुपए
अदर – 1 लाख 50 हजार
इतना शुल्क वसूलना बेहद निंदनीय
जब राज्य सरकार ने पहले ही कोरोना (corona in cg) के सीरीयस पेशेंट के इलाज के लिए प्रतिदिन का अधिकतम 17 हजार रुपए का शुल्क निर्धारित किया हुआ है तो निजी अस्पतालों को कोरोना मरीजों से इस तरह मनमानी शुल्क वसूलना बहुत ही निंदनीय है। राज्य सरकार द्वारा विशेषज्ञों व अस्पतालों के प्रतिनिधियों से रायशुमारी करने के बाद ही तय किया है।
-विकास तिवारी, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता