लंदन। कोरोना (corona) संकट के बीच स्वस्थ लोग फेस मास्क (face mask) पहनें या नहीं यह चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ देशों ने अपने यहां के स्वस्थ लोगों को मास्क पहनने की एडवायजरी जारी कर रखी है तो कुछ देशों में इस लोगों को इच्छा पर छोड़ दिया गया है।
लेकिन आंकड़े (data) ये बताते हैं जिन देशों ने पहले से ही मास्क पहनने की एडवायजरी जारी कर रखी है वहां कोरोना (corona) संक्रमण के आंकड़े उन देशों की तुलना में कम है जहां की सरकारों ने इसकी एडवायजरी जारी नहीं की या जहां मास्क पहनना स्वेच्छिक कर दिया गया है। डेली मेल ने इस संबंध में खबर प्रकाशित की है।
आंकड़ों (data) के मुताबिक, जापान, हांगकांग, दक्षिण कोरिया चीन से लगे होने के बावजूद इन देशों में संक्रमण का स्तर काफी कम रहा।
चीन से लगे इन देशों में कम फैला संक्रमण
वहीं दूसरी ओर इटली, जर्मनी, स्पेन, अमेरिका, यूके, स्पेन में, जहां की सरकारों ने अपने लोगों को मास्क (face mask) पहनने की सलाह नहीं दी उन देशों में संक्रमण भी ज्यादा फैला और मौतों को प्रमाण भी ज्यादा रहा। ताजा आंकड़ों के मुताबिक यूके में 47 हजार 806 को कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। यहां मौतों का आंकड़ा 4934 हो गया है। अमेरिका में हालात इससे भी बदतर है। यहां 3 लाख 11 हजार 600 है संक्रमित हैं और 8000 मौतेें हो गई। जबकि दक्षिण कोरिया, जापान व सिंगापुर तीनों को मिलाकर सिर्फ 260 ही कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इन तीनों एशियाई 14484 ही संक्रमित हैं।
मास्क को लेकर शुरू से ही उठते रहे सवाल
उल्लेखनीय है कि मास्क की प्रभावशीलता को लेकर भी सवाल उठ रह हैं। ब्रिटिश गवर्नमेंट का लंबे समय तक यह मानना रहा है कि सस्ता पेपर मास्क वायरस के खिलाफ थोड़ा ही प्रोटेक्शन प्रदान करता है। लेकिन विशेषज्ञों का हमेशा से यह मानना रहा है कि मास्क किसी को वायरस से सुरक्षा प्रदान नहीं करता, हां ये जरूर है कि यदि कोई संक्रमित व्यक्ति मास्क पहने तो वह दूसरों को संक्रमित होने से बचाता है।