रायपुर/नवप्रदेश। कोरोना (corona) से उत्पन्न परिस्थितयों को लेकर गुरुवार को मुख्यमंत्री (cm baghel appeal) भूपेश बघेल प्रदेश की जनता को संबोधित कर चुके हैं। उन्होंने इस विषम परिस्थिति से लड़ने लोगों को एक दूसरे व सरकार को सहयोग करने की अपील की। लेकिन ये अपील फिलहाल लोग मानते नहीं दिख रहे-खासकर जमाखोर (stockist) व कुछ अनाज व्यापारी (food grain trader)। इसका अंदाजा रायपुर (raipur food grain trader) के राठौड़ चौक स्थित कुद अनाज दुकानों से लगाया जा सकता है। कुछ व्यापारी ऐसे हैं जो कारोना (corona) से उत्पन्न स्थिति के चलते पल-पल में विभिन्न अनाजों के दाम बढ़ाकर बता रहे हैं। उनका व्यवाहार मुख्यमंत्री बघेल (cm baghel appeal) की अपील से मेल खाता नहीं दिख रहा।
रायपुर (raipur food grain trader) के एक खरीदार ने बताया कि उसे अनाज (food grain trader) व दाल के व्यापारी सचिन ट्रेडर्स में महाराष्ट्र की कोल्हापुरी दाल की 30 किलो की बोरी का रेट पहले 85 रुपए प्रति किलो बताया गया, जब उसने दुकान वाले से रेट कम करने की अपील की तो उसने मना कर दिया। थोड़ी देर बाद जब खरीदार 85 रुपए के प्रति किलो के हिसाब से कोल्हापुरी दाल की बोरी खरीदने तैयार हुआ तो दुकान संभाल रहे लड़के ने किसीको फोन लगाया और कहा कि अब ये दाल की बोरी 86 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलेगी। खरीदार के मुताबिक इस बारगेनिंग के दौरान दुकान में एक और शख्स पहुंचा और जब खरीदार ने उक्त दाल की बारी 85 रुपए प्रति किलो के हिसाब से देने की गुजारिश की तो उसने कहा कि इसका दाम बोरी में ही अब 88 रुपए प्रति किलो हो गया है। खरीदार ने आगे कहा कि 88 रुपए में उसने उस दुकान से दाल नहीं खरीदी।
दुकानदार की सफाई
सचिन ट्रेडर्स से जब नवप्रदेश ने मो. नंबर 700278938 पर संपर्क कर इस मामले को लेकर जानकारी ली तो कॉल रिसीव करने वाले ने बताया कि उक्त दाल की बोरी में ही कीमत 90 रुपए प्रति किलो है। खरीदार ने उनसे इसे 88 रुपए प्रति किलो की दर पर मांगा, लेकिन हमने नहीं दिया तो वह चला गया। कॉल रिसीव करने वाले से ये पूछे जाने पर कि क्या कोरोना के चलते अनाज के दामों में इजाफा हुआ है तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। अभी शॉर्टेज चल रहा है और लोग एकदम से अनाज की खरीदी करने लगे हैं। इसलिए थोड़े दाम बढ़े हैं। एक-दो दिन में शॉर्टेज खत्म हो जाएग। वहीं एक अन्य अनाज व्यपारी ने कहा कि लोगों ने कोरोना के डर से अनाज जमा करना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से दाम बढ़ने लगे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को डरना नहीं चाहिए और जरूरत का ही अनाज खरीदना चाहिए।
मामले से उठे सुलगते सवाल
यदि कोई व्यक्ति 10-20 किलो अनाज लेने जाए तो क्या उसे भी जमाखोरी कहा जाएगा?
यदि लोग ये अनाज रोज भी खरीदकर खाएं तो क्या व्यापारी उन्हें पूर्ववत दाम में अनाज दे पाएंगे?
आलम ये है कि एक-दो नग मास्क व सेनिटाइर खरीदने जाने पर भी इसके व्यापारी शॉर्टेज कहकर दाम बढ़ा कर बता रहे हैं, ऐसे में अनाज के मामले में ऐसा नहीं होगा कैसे सुनिश्चित होगा?
जैसा कि व्यपारी ने बताया शॉर्टेज है, क्या ये शॉर्टेज उनके परिभाषा में खत्म हो पाएगा?